अब के बरस उनका यही फरमान है,
इंसान बस लूटा हुआ सामान है।
मुल्क ने झेली जलालत अब तलक,
वे जगाएँगे अलख,अरमान है।
भटके हुए सब लोग घर को लौट लें,
जो नहीं माने, असल शैतान है।
धर्म को अपने, फलक तक टाँग देंगे,
नौनिहालों की तड़पती जान है।
तामीर इस दुनिया को हमने ही किया,
जो फ़ना कर दे,वही इंसान है।
इंसान बस लूटा हुआ सामान है।
मुल्क ने झेली जलालत अब तलक,
वे जगाएँगे अलख,अरमान है।
भटके हुए सब लोग घर को लौट लें,
जो नहीं माने, असल शैतान है।
धर्म को अपने, फलक तक टाँग देंगे,
नौनिहालों की तड़पती जान है।
तामीर इस दुनिया को हमने ही किया,
जो फ़ना कर दे,वही इंसान है।
धर्म का अधर्म एक बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएं