झूठे वादों का मौसम है,
तगड़ी घातों का मौसम है।
बीत गए वो सोने के दिन,
काली रातों का मौसम है।
पनघट पर खाली सन्नाटा,
उसकी यादों का मौसम है।
और नहीं कुछ सूझे मन को,
केवल बातों का मौसम है।
आँखों में है एक समंदर,
अब बरसातों का मौसम है।
तगड़ी घातों का मौसम है।
बीत गए वो सोने के दिन,
काली रातों का मौसम है।
पनघट पर खाली सन्नाटा,
उसकी यादों का मौसम है।
और नहीं कुछ सूझे मन को,
केवल बातों का मौसम है।
आँखों में है एक समंदर,
अब बरसातों का मौसम है।
अभी मौसम बहुत खतरनाक है देश की राजनितिक व सामाजिक व्यवस्था का. सजग रहने की जरुरत है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)
मौसम ये भी बीत जाना था
जवाब देंहटाएंऋतु ऋत का इक बहाना था