झूठे वादों का मौसम है,
तगड़ी घातों का मौसम है।
बीत गए वो सोने के दिन,
काली रातों का मौसम है।
पनघट पर खाली सन्नाटा,
उसकी यादों का मौसम है।
और नहीं कुछ सूझे मन को,
केवल बातों का मौसम है।
आँखों में है एक समंदर,
अब बरसातों का मौसम है।
तगड़ी घातों का मौसम है।
बीत गए वो सोने के दिन,
काली रातों का मौसम है।
पनघट पर खाली सन्नाटा,
उसकी यादों का मौसम है।
और नहीं कुछ सूझे मन को,
केवल बातों का मौसम है।
आँखों में है एक समंदर,
अब बरसातों का मौसम है।