आज देश में काफी उहापोह की स्थिति के बीच अदालत ने अयोध्या मामले पर अपनी तरफ से तीनों पक्षों को राहत देने की कोशिश की है पर 'किन्तु-परन्तु' फिर भी चलता रहेगा,क्योंकि कुछ तत्व फिर भी चाहेंगे कि 'राजनीति' की आंच धीमी न पड़े.फैसले से पहले पूरा देश जैसे लगा ,कर्फ्यू या आपात-स्थिति की चपेट में है.अखबारों में प्रधानमंत्री सहित कई रहनुमाओं के 'शांति' बनाये रहने के आह्वान लगातार आते रहे .समाचार-चैनल देखो तो डर लगता कि कोई पहाड़ टूटने वाला है.
मैं समझता हूँ कि आम आदमी को ऐसे फैसलों से ज़्यादा कुछ लेना-देना नहीं है,फिर भी माहौल बनाकर उसे एक पार्टी बनाया जा रहा है.हमारे लिए भगवान राम किसी धर्म,देश,स्थल या फ़ैसले की सीमा से परे हैं.वे न तो एक 'संपत्ति' हैं जिस पर कोई फ़ैसला लागू हो न ही वे पक्षकार हैं.उनके आदर्शों में सबसे अहम् बात त्याग की रही,जिसे उनके तथाकथित भक्त सिरे से नकार रहे हैं.आम अवाम को आशंका से भरा गया ,पर वास्तव में अब वैसा उन्माद नहीं आनेवाला.
राम को भले ही आज के आदेश से कोई ईनाम मिले न मिले,समाचार-चैनलों की टी.आर.पी. बढ़ जाएगी,दाम मिल जायेंगे और नेताओं को एक ज़रूरी काम ! सबसे खास बात यह है कि उस 'अयोध्या' के लिए सब चढ़ाई कर रहे हैं ,जिसे जीता नहीं जा सकता !
मैं समझता हूँ कि आम आदमी को ऐसे फैसलों से ज़्यादा कुछ लेना-देना नहीं है,फिर भी माहौल बनाकर उसे एक पार्टी बनाया जा रहा है.हमारे लिए भगवान राम किसी धर्म,देश,स्थल या फ़ैसले की सीमा से परे हैं.वे न तो एक 'संपत्ति' हैं जिस पर कोई फ़ैसला लागू हो न ही वे पक्षकार हैं.उनके आदर्शों में सबसे अहम् बात त्याग की रही,जिसे उनके तथाकथित भक्त सिरे से नकार रहे हैं.आम अवाम को आशंका से भरा गया ,पर वास्तव में अब वैसा उन्माद नहीं आनेवाला.
राम को भले ही आज के आदेश से कोई ईनाम मिले न मिले,समाचार-चैनलों की टी.आर.पी. बढ़ जाएगी,दाम मिल जायेंगे और नेताओं को एक ज़रूरी काम ! सबसे खास बात यह है कि उस 'अयोध्या' के लिए सब चढ़ाई कर रहे हैं ,जिसे जीता नहीं जा सकता !