3 जनवरी 2009

बचऊ पंडितजी !


आदरणीय पंडितजी मेरे प्रारंभिक गुरु रहे हैं। ९० वर्ष की अवस्था पार करके ये अभी भी तरोताज़ा दिखायी पड़ते हैं। शारीरिक चुस्ती का कारण रोज़ाना की ज़िन्दगी में हमेशा सक्रिय रहना है। अपने दिनों में पंडितजी अंग्रेज़ी भाषा के उच्च-स्तर के शिक्षक रहे जिसके लिए इन्हें 'राष्ट्रपति' पुरस्कार भी मिला था।इनका कार्यक्षेत्र जूनियर हाई स्कूल ,नीबी,रायबरेली था, ,जहाँ ये कई वर्षों तक प्रधानाचार्य रहे। रहन-सहन में सीधे-सादे और सच्चे गांधीवादी हैं। जीवन में इन्होंने हमेशा खादी का लकदक सफ़ेद कुरता और धोती पहनी तथा हिन्दी-साहित्य का भी गहन अध्ययन किया । आस-पास के इलाके में उनका बड़ा सम्मान है । हालाँकि इनका ताल्लुक एक बड़े खानदान से रहा है पर ये बिल्कुल सादगी की मूर्ति हैं। मैं इनको बचपन से ही अपना आदर्श मानता रहा हूँ क्योंकि ये हमारे पूज्य पिताजी श्री कृष्ण कुमार जी के भी गुरु रहे हैं।इनका वास्तविक नाम श्री शीतला शरण अग्निहोत्री है पर पूरे इलाके में इन्हें बचऊ पंडितजी के नाम से जाना जाता है।
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