29 नवंबर 2012

रोशनी देगा कोई ?


ज़िन्दगी हमको कहाँ ले जाएगी,
मौत से पहले बता देगा कोई ?(1)


आखिरी शब है नहीं हो पास तुम,
यह खबर तुमको सुनाएगा कोई ?(2)


हमने किए जो फैसले ,भारी पड़े
इस राज से परदा उठाएगा कोई ?(3)


चल चुकी तलवारबाजी इस शहर में,
अब अम्न का पैग़ाम लाएगा कोई ?(4)

महफ़िलें रोशन रहीं हैं अब तलक,
बुझते दियों को रोशनी देगा कोई ?(5)

 

 

पुस्तकें मौन हैं !

पुस्तकों ने
बोलना बंद कर दिया है
और हमने सुनना,
हमारा बहरापन
खत्म हो जायेगा जिस दिन
पुस्तकें अपना मौन-व्रत खोल देंगी !

अभी पुस्तकों के मुँह बंद हैं
हमारी ज़बान की तरह,
बंद पड़े पन्नों पर
गर्द की मोटी परत है
हमारे पास इतना भी वक्त नहीं बचा
उन्हें झाड़ने और टहलाने का!

किताबें गुम हो गई हैं हममें
या हमीं बेखबर हैं इनसे,
जिस रोज़ हम तलाश लेंगे उन्हें
हम भी पा लेंगे खुद को !
 

19 नवंबर 2012

अवसान के बाद का मूल्यांकन !


 

बाला साहब ठाकरे के अवसान के साथ ही देश में नई तरह की बहस शुरू हो गई है।उनकी शवयात्रा में शामिल लाखों लोगों की भीड़ को उनकी लोकप्रियता के पैमाने पर मानकर उन्हें शिखर-पुरुष, मसीहा,शेर,हिन्दू हृदय सम्राट और न जाने क्या-क्या कहा जा रहा है।यह भारतीय संस्कृति है जिसमें किसी की मृत्यु के बाद उसकी बुराई नहीं की जाती पर जब ऐसे शख्स का दखल सामाजिक या राजनैतिक हो,उसकी बड़ाई मायने रखती हो तो उसकी विचारधारा की बुराई क्यों वर्जित है ? किसी की भी मौत का जश्न उचित नहीं होता क्योंकि उससे किसी न किसी की व्यक्तिगत संवेदनाएं जुड़ी होती हैं,पर यदि हम उसकी शान में बढ़ा-चढ़ाकर कसीदे पढ़ने लग जाएँ,तो यह भी किसी को नागवार गुजर सकता है।

ठाकरे का व्यक्तित्व बहुतों के लिए कितना भी प्रभावशाली और आकर्षक रहा हो पर थोड़ा ठहरकर यदि हम उनका वैचारिक और तार्किक धरातल पर मूल्यांकन करें तो कई बातें उनके खिलाफ जाती हैं।यह मूल्यांकन साधारण आदमी के लिए ज़रूरी नहीं है पर वे एक राजनैतिक हस्ती थे इसलिए कुछ बातें साफ़ होनी चाहिए।उनका सबसे बड़ा गुणधर्म यह माना जाता है कि वे पड़ोसी देश को सरेआम धमकाते थे।इनकी इस सोच को समर्थन मिला तो उन्होंने अपने ही देश के दूसरे धर्म के लोगों के प्रति वैसी ही भावना अख्तियार कर ली।यह भी कई लोगों की राजनीति के लिए उपयुक्त लगा सो वे इससे आगे बढ़कर क्षेत्रवाद तक आ गए।मुंबई में दो तरह के नागरिक बन गए,उत्तर-भारतीय और मुम्बईकर।आजीवन यह लड़ाई मराठा बनाम बिहारी और महाराष्ट्र बनाम यू.पी.,बिहार तक ले जाई गई।यहाँ यह समझना होगा कि जो बात हमें धार्मिक लिहाज़ से अच्छी लग सकती है ,वही बात जातीयता और क्षेत्रीयता आ जाने पर नहीं,पर राजनीति के चलते इसमें दबे सुर से सभी दलों की सहमति रही है ।

हमारा साफ़ मानना यही है कि जिस मनुष्य को दूसरे मनुष्य को देखने में धर्म,जाति या क्षेत्र का चश्मा लगाना पड़े,क्या वह वास्तव में साधारण कोटि का मनुष्य भी है ?ठाकरे का अपना संविधान था,लोकतंत्र में उनका रत्ती भर विश्वास नहीं था।देश के ही नागरिकों को अपने देश में प्रवासी बना देना,उनमें आपस में घृणा-भाव पैदा करना ,डराना-धमकाना,उपद्रव करना ,अशांति फैलाना अगर देशद्रोह नहीं है तो फ़िर क्या इसे देश-प्रेम कहेंगे ? ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ ठाकरे ही ऐसा करते थे,आज की राजनीति में सब अपनी-अपनी तरह से इसी तरह का योगदान कर रहे हैं।ऐसे में उनके अवसान को महापुरुष का प्रयाण या एक युग का अंत कैसे कह सकते हैं ?

उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट कहने वालों को यह भी नहीं पता कि वे ऐसा कहकर हिन्दू धर्म का नुकसान तो कर ही रहे हैं,उसके बारे में कुछ जानते भी नहीं हैं।ऐसे लोगों को स्वामी विवेकानंद के हिंदुत्व से सीख लेनी चाहिए न कि सावरकर या मधोक या ठाकरे से !भीड़ को सहारा बनाकर कई बुद्धिजीवी और साहित्यकार लहालोट हुए जा रहे हैं।उन्हें समझना पड़ेगा कि भीड़-भीड़ में फर्क होता है।भीड़ भिंडरावाला,प्रभाकरन,ओसामा और मुसोलिनी के साथ भी थी और गाँधी,मार्टिन लूथर किंग और मंडेला के साथ भी ! इसलिए भीड़ के सबक हर समय यकसा नहीं होते।साहित्यकार जो कथा-कहानी या कविता लिखता है ,उसमें संवेदना और मानवीयता का पुट आवश्यक तत्व की तरह होता है पर यही साहित्यकार जब किसी व्यक्ति का आकलन करते हैं तो कहीं न कहीं धर्म,जाति या क्षेत्रीय अस्मिता को ओढ़ लेते हैं ।ठाकरे के मामले में यही हो रहा है।मीडिया को क्या कहें,वह उनके परिजनों के रोने को भी खबर बनाता है ! किसी की मौत पर परिजन ही नहीं दूसरे लोग भी व्यथित हो जाते हैं,यह कहाँ से खबर हुई ?

ठाकरे की मौत से कई लोग विचलित या द्रवित हैं पर कोई उनके आंसुओं के बारे में भी सोचेगा जिनको अपने ही देश में आज़ादी से साँस नहीं लेने दी गई हो ?ठाकरे की मौत से ये प्रश्न फ़िर हमारे सामने हैं ।  

 

18 नवंबर 2012

मोबाइल में हिंदी की-बोर्ड !

नवभारत टाइम्स में १८/११/२०१२ को प्रकाशित

अगर आप अपने मोबाइल में हिंदी पढ़ तो लेते हैं पर लिख नहीं पाते तो निराश होने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है.यदि आपके पास Andoid OS का कोई फ़ोन है तो बस पाँच मिनट में आप अपने फ़ोन में हिंदी की-बोर्ड बहुत आसानी से INSTALL कर सकते है.आप यहाँ क्रमबद्ध ढंग से बताये गए तरीके से ऐसा कर सकते हैं.

सबसे पहले आप PLAY STORE (android market)जाएँ और वहाँ MultiLing Keyboard को सर्च करें और चित्र न. (1) वाला एप्लीकेशन डाउनलोड करके INSTALL कर लें.इसके बाद इसे खोलने पर  मुख्य पेज या मेनू (चित्र न. 2) दिखाई देगा.यही आपको पूरी तरह गाइड करता है.इसके लिए अलग से फ़ोन की सेटिंग में जाने की ज़रूरत नहीं है.


1



2

चित्र न. (2) में  1.Enable Multiling  पर क्लिक करें और MultiLing keyboard को चुन (SELECT) कर लें,जैसा (चित्र न.(3)में दिख रहा है..इसके नीचे ही MultiLing keyboard की सेटिंग है ,जिसे आप खोलें और Languages चित्र न. (4) पर जाएं.

 
3

4

यहाँ क्लिक करने पर नई विंडो (चित्र न. 5) खुलती है,जिस पर आप Use MyAlpha Font को चुनें.ठीक इसी के नीचे Languages पर आप क्लिक करें तो बहुत सारी भाषाओँ के विकल्प दिखते हैं.इस सूची (चित्र न. 6) में आप English और हिंदी को
SELECT कर लें.
5

6

अब इसके बाद मेनू बटन (चित्र न. 1) पर लौट आयें और 2.Switch IME to Multiling पर क्लिक करें (चित्र न.7) और यहाँ Multiling keyboard  को चुनें.

7

इसके बाद पुनः मेनू (चित्र न.2) में जाकर 3.Download Plug-ins  पर क्लिक करें .नई विंडो चित्र न. 8 की तरह खुलती है.इसमें Other languages के option पर क्लिक करें.
8

अब फ़िर से नई विंडो खुलेगी चित्र न. (9) की तरह और आप इसमें South Asia (Indic Languages) पर क्लिक करें.

9

10

यहाँ चित्र न. 10 की तरह दिखने पर हिंदी /Hindi पर क्लिक करें.ये फ़िर से आपको android market पहुँचायेगा जहाँ आपको हिंदी Plug-ins डाउनलोड करके INSTALL करना  है,जैसा कि चित्र न.(11)  में दिखाया गया है.

 
11
अब हिंदी की-बोर्ड आपके मोबाइल पर पूरी तरह से INSTALL हो गया है.यह की-बोर्ड टच और टच ऐंड टाइप फोन्स में काम करता है.INSTALL करने के बाद NEW MESSAGE में जाकर आप चेक कर लें.टच ऐंड टाइप फ़ोन पर यह तभी दिखेगा जब आप नया सन्देश लिखने के लिए क्लिक करेंगे.


की-बोर्ड दिखने पर यह Space Bar पर English दिखायेगा.आप इसको स्वैप SWAP(बाएं से दायें या दायें से बाएं ) करें.आपको हिंदी की-बोर्ड दिखेगा.यदि कोई और भाषा दिखाता है  तो  चित्र न. (6) वाली स्थिति में जाकर चेक कर लें कि गलती से कोई और भाषा तो नहीं चुन ली है.


लिखने के कुछ टिप्स :

की-बोर्ड में किसी बटन पर सॉफ्ट क्लिक करेंगे तो बोल्ड लिखा हुआ टाइप होगा.अगर लॉन्ग प्रेस करेंगे तो ऊपर छोटे रूप में लिखे हुए अक्षर टाइप होंगे.आधा अक्षर बनाने के लिए पहले वह अक्षर लिखें,जिसको आधा लिखना है,फ़िर 'अ' के साथ हलंत वाला बटन सॉफ्ट दबाएंगे.इसके अगला अक्षर लिखते ही पिछला वाला आधा दिखने लगेगा.
बाँईं ओर बने SHIFT बटन से अक्षरों के और विकल्प आते हैं.
क्ष,त्र,ज्ञ लिखने के लिए १,२,३ बटन को लॉन्ग प्रेस करेंगे तो नई विंडो खुलती है.दबाव बनाते हुए,बिना छोड़े DRAG करते हुए सम्बंधित अक्षर तक पहुँचे और वहीँ क्लिक करें.त्र को 'त' बटन के बाद आधा अक्षर वाला 'अ' को सॉफ्ट दबाकर 'र' बटन दबा दें तो भी लिख सकते हैं.

स्माइली आदि के लिए 'ओम् व  १ ' लिखा बटन  को दबाएँ और DRAG करते हुए इच्छित  स्माइली पर क्लिक करें.
कई शब्दों के पूरा लिखने से पहले ही ऊपर डिक्शनरी में विकल्प आ जाता है,वांछित पर क्लिक करके समय बचा सकते हैं.

इस तरह धीरे-धीरे अभ्यास करके आप ब्लॉग या फेसबुक पर आसानी से कमेन्ट कर सकते हैं,अपना स्टेटस हिंदी में लिख सकते हैं.किसी समस्या के लिए आप chanchalbaiswari@gmail.com  पर संपर्क भी कर सकते हैं.





 

13 नवंबर 2012

इनकी दीवाली,उनकी दीवाली !

 
 
दिया जले बाज़ार में,हरिया घर अंधियार
महलों की फुलझड़ी से ,वो पाए उजियार  । 

दीवाली रोशन करे,उम्मीदों के दीप। 
सुखिया मोती ढूँढता,खाली मिलता सीप

सजनी बाती बाल के,जले नेह के संग
जाने कब वो आएँगे,सुलग रहे सब अंग ।३।   

पाहुन हैं परदेस में,सौतन लक्ष्मी साथ । 
घर की लक्ष्मी थापती,दरवाजे पर हाथ  ।४

दीये की लौ दे रही,अलग-अलग सन्देश । 
सुखिया दुःख में ही रहे,हो अमीर का देश ।५

दीवाली है किशन की,खड़ा सुदामा दूर ।
चकाचौंध में देखता, महल,झोपड़ी, घूर ।६ ।