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13 जून 2012

ये धुआँ सा कहाँ से उठता है-अलविदा मेंहदी हसन साब

अभी अभी फेसबुक में शिवम मिश्रा  के स्टेटस को पढ़कर अचानक दिल धक् से रह गया.हमारे अज़ीज  गज़ल गायक और हिंदुस्तान-पाकिस्तान में समान रूप से सम्मान पाने वाले मेंहदी हसन साहब नहीं रहे.यूँ तो अरसे से उनकी बीमारी उन्हें दबाये हुए थी पर फिर भी हमें उम्मीद थी कि वो अभी हमारे साथ और रहें.इस नामुराद खबर पर यकीं न हुआ तो अमर उजाला अखबार ने इसकी तस्दीक कर दी !



गजल गायिकी के बेताज बादशाह मेहदी हसन नहीं रहे

कराची/एजेंसी
Story Update : Wednesday, June 13, 2012    1:10 PM
Ghazal king Mehdi Hassan passes away in a Karachi hospital
नामचीन गजल गायक मेंहदी हसन का बुधवार को कराची के अस्पताल में निधन हो गया। पिछले कई दिनों से मेहदी हसन का इलाज कराची के अस्पताल में चल रहा था। हसन को फेफड़े, छाती और पेशाब करने में परेशानी थी। हसन के बेटे आरिफ हसन ने बताया कि उनके पिता पिछले 12 वर्षों से बीमार थे लेकिन इस साल उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई।

मेहदी हसन का जन्म राजस्थान के लुना गांव में 18 जुलाई 1927 को एक पारंपरिक संगीतकार घराने में हुआ था। लेकिन देश विभाजन के बाद मेंहदी हसन को परिवार के साथ पाकिस्तान में बसना पड़ा।

इसके बाद मेहदी हसन ने गुजारा चलाने के लिए साइकिल की दुकान पर भी काम किया था। इस सब के बीच मेंहदी हसन ने सुर साधना का साथ कभी नहीं छोड़ा और गजल गायिकी के बेताज बादशाह बने।

गायकी की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान करने के लिए उन्हें शहंशाहे गजल की उपाधि से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें बहुत से अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है।


मेंहदी हसन साहब मेरे सबसे पसंदीदा गज़ल-गायक रहे हैं.उनसे यह लगाव 'रंजिश ही सही,दिल को जलाने के लिए आ' से शुरू हुआ था,बाद में बहुत सारी गज़लें हैं जिन्हें मैं अक्सर गुनगुनाता रहता हूँ.'खुदा करे कि जिंदगी में वो मक़ाम आए,'देख तो दिल के जां से उठता है,ये धुआँ सा कहाँ से उठता है.'

अब इस समय और कुछ सूझ नहीं रहा.वे भले ही हमारे साथ शरीर से नहीं रहे,पर हमारे दिलों में,सुरों में ताकयामत बरकारार रहेंगे.खुदा उन्हें पुरसुकून बख्शे !

फिलहाल उनकी ही आवाज़ में हमारा दर्द !


36 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद दुखद है... कमाल की मखमली सी आवाज़ के मालिक थे...

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  2. ओह , दुखद समाचार .... बेहतरीन गजल गायक थे .... भाव पूर्ण श्रद्धांजलि

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  3. वाकई बेहद दुखद खबर.. उनकी मखमली आवाज़ ग़ज़लों में जान भर देती थी। उनकी रंजिश ही सही.. के न जाने कितने दीवाने थे..

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  4. दुखद समाचार ...
    मेहदी हसन साहब बेहतरीन गजल गायक थे,,,,,भाव पूर्ण श्रद्धांजलि,,,,

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  5. बेहद दुखद ... विनम्र श्रद्धांजलि

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  6. शोला था जल बुझा हूँ...हवाएं मुझे न दो.......
    मैं कब का जा चुका हूँ..सदाएं मुझे न दो....
    श्रद्धासुमन.

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  7. आपके और हमारे चहेते गायक नहीं रहे.दरअसल ऐसी शख्सियत को महज़ गायक कहना भी उचित नहीं है.मेंहदी साहब हमारे जीवन का हिस्सा थे और ऐसे में उनका न रहना हमें हमारी रूह से जुदा करता है :-(

    ...तुम कहीं नहीं गए,शामिल मेरी साँसों में हो,
    रंजिश ही सही पास मेरे,लौट आओ तुम !

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  8. मृत्यु अटल है फिर भी यह खबर सुनने में बहुत बुरा लग रहा है. नागवार. हमने तो संगीत का अनुराग ही इन्ही दो-चार की गायकी के लोभ में पाया. नमन है इस प्रतिभा को. श्रद्धांजलि!

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  9. जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल!!
    श्रद्धांजलि!!

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  10. बेहतरीन गजल गायक को .... भाव पूर्ण श्रद्धांजलि !!

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  11. बहुत अफ़सोस हुआ ! उनकी मुक्ति के लिए दुआ करते हैं !

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  12. Aise log bar bar nahi aate duniya mein ... Naman hai sangeet aur gazal ke Badshah ko ....

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  13. विनम्र श्रद्धांजलि.
    आपकी पोस्ट से उनके बारे में अच्छी जानकारी मिली.
    उनकी गजल सुनवाने के लिए आभार,संतोष जी.

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  14. बेहद दुखद...विनम्र श्रद्धांजलि.....

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  15. जितना बड़ा उनका क़द है,उस लिहाज से यह देखकर हैरत होती है कि भारत में उनकी लोकप्रिय ग़ज़लें पोर पर गिनी जा सकती हैं। संभवतः,इसका कारण विभाजन के बाद,अपने संगीत को भारत से अलग दिखाने की पाकिस्तान की ज़िद रही हो। इसका एक संकेत "गदर" के एक दृश्य में भी है।

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    1. राधा रमण जी,जो लोग उन्हें सुनते हैं वो बीसियों ग़ज़लें गिना सकते हैं उनकी.उनका पाकिस्तान से कहीं ज़्यादा हिंदुस्तान में प्रशंसक-वर्ग है.इस मामले में सरहद कोई मायने नहीं है !

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  16. मेहँदी हसन साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।


    सादर

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  17. मेंहदी हसन साहब से हमारा परिचय हुए ज़्यादा वक्फा तो नहीं हुआ पर जब से उनको सुनना शुरू किया कोई और पसंद नहीं आया गज़ल गायकी में.हाँ,मुन्नी बेगम,गुलाम अली और फरीदा खानम ज़रूर ऐसे फनकार हैं जो प्रभावित करते हैं.संयोग यह देखिये कि ये सब पाकिस्तान से ताल्लुक रखते थे या हैं.

    ...मैंने अपने पास ज़्यादा तो नहीं पर चुनिन्दा बीस गज़लों की प्लेलिस्ट बना रखी है,बीते साल ही एक सीडी ले आया था,उसी से ये गाने सुनता रहता हूँ.

    ..पाकिस्तान को चाहने की एक और सिर्फ एक वज़ह यह थी कि नूरजहाँ,इकबाल और मेंहदी हसन वहीँ से ताल्लुक रखते थे,हालाँकि यह सब अविभाजित हिंदुस्तान के ही थे.

    हम सबसे ज़्यादा तभी संजीदा होते हैं जब हमारा दर्द किसी और रूप में बाहर आए,ऐसे में उनकी ग़ज़लें सुकून देती थीं,गम को कम करती थीं.ऐसा भी नहीं है कि जब हम गमगीन हों,तभी सुनें,खुशी के समय यही ग़ज़लें और खुशी बढ़ाती हैं.

    मेंहदी हसन साब ज़मीं से जुड़े गायक थे और इसीलिए लगता है कि उनके जाने से ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा दरक गया है हमारे दिल की शक्ल में !

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    1. काहे पाकिस्तान का topic उठा कर मुसीबत बुला रहे हैं ?

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    2. ...मुसीबत झेलने को तैयार हैं...!!!

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    3. क्या भारत क्या पाक! सुखनवर/आशिके-मौसिकी के लिए भला क्या विभाजन! कुछ यूं;;;
      '' पंछी, नदिया, पवन के झोंके
      कोई सरहद न इन्हें रोके
      सरहद बनायी इंसानों ने
      सोंचे तो
      हमने क्या पाया इन्सां होके!'' - जावेद अख्तर

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    4. amarendr tripathi ji se sahmat hoon - jis din ham sach hi ham insan ho gaye - sarhadon kee zaroorat hi n rahegi | parantu vah din jaane kab aaye ?

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  18. ...अबके हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें,

    जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें...

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  19. बहुत बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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