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प्रिंट मीडिया में बैसवारी
बेटे की तूलिका
टेढ़ी उँगली
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10 फ़रवरी 2021
तुम्हारे लिए
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किसी के आँसुओं पर मत हँसो, आह उसकी ख़ाक कर देगी तुम्हें। तख़्त पर बैठा नहीं रहता कोई इक दिन जमीं ही आसरा देगी तुम्हें। दक्षिणा देना ग़लत क...
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31 अक्तूबर 2020
शायर फिर बोला है !
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शायर फिर से बोला है, ज़हर फ़िज़ा में घोला है। रोज़ सियासत रिसती है, जब भी मुँह खोला है। कट्टरता,पाखंड में चुप्पी, रंगा मज़हबी चोला है। पक्क...
2 टिप्पणियां:
8 जून 2020
बुरे दिनों में ईश्वर
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बचपन में बहुत मानता था ईश्वर को पढ़ते हुए भी कभी नहीं छोड़ा उसे शालिग्राम की बटिया को कराता था स्नान और कंठस्थ कर...
2 टिप्पणियां:
28 अक्तूबर 2019
सियासत
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सब गिर गए हैं , किसे अब गिराएँ , मुहब्बत में थोड़ा , ज़हर भी मिलाएँ । तनिक पास आओ , हमसे मिलो झटकने से पहले , गले ...
24 सितंबर 2019
जीडीपी बादरु फारे है !
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सोना नींद हराम केहे रुपिया ख़ूनु निकारे है। बड़की बातैं सब हवा हुईं, जीडीपी बादरु फारे है। गै लूटि तिजोरी बंकन कै खीसा पूरा अउ झारि द...
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