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14 नवंबर 2011

प्रवीण त्रिवेदी : ब्लॉगिंग के मास्टर !

पिछली सर्दियों में फतेहपुर में !
ब्लॉगिंग से जुड़े तो थे औपचारिक रूप से चार साल पहले ,पर पिछले दो सालों से इससे ज्यादा मुठभेड़ हो रही है.पिछले एक साल से तो यह हमारे रूटीन में आ चुका है और अब पूरी  तरह से इसकी गिरफ्त में हूँ,नशेड़ी हो चुका हूँ. अब इतना समय तो गुजर ही चुका है कि  इसके बारे में कुछ जान सका हूँ  और इस दुनिया के कितने लंद-फंदों से वाकिफ़ हुआ हूँ !


बिलकुल शुरुआत में मुझे इस विधा के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था,पर अचानक एक संपर्क ने मेरी ब्लॉगिंग की दुनिया को जैसे पंख दे दिए हों.'हिंदुस्तान' में रवीश कुमार के कॉलम से प्रवीण त्रिवेदी के ब्लॉग प्राइमरी का मास्टर  के बारे में पढ़ा तो सहज ही उनकी ओर आकर्षित हो गया.यह आकर्षण निश्चित रूप से ब्लॉग के बजाय व्यक्तिगत प्रवीण त्रिवेदी जी के लिए था क्योंकि एक तो वे फतेहपुर के थे और दूसरे अध्यापक थे  ( वैसे त्रिवेदी सरनेम भी आकर्षण की थोड़ी वज़ह तो था ही ) !
बाइक पर प्रवीणजी के साथ गंगा-पुल पर 


मैंने उनके ब्लॉग पर जाना शुरू किया और फोन पर उनसे संपर्क साधा .बातचीत शुरू हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था कि मालूम चला कि वे हमारे एक नजदीकी रिश्ते में भी हैं. बस,फिर तो अपनी गाड़ी ऐसी  चली कि बिना टायर ,बिना हवा खूब कुलांचे मार रही है.समय समय पर वे हमें हर तरह की मदद को तत्पर रहते हैं.वे ऐसे मित्र हैं जो परदे के पीछे से अपना काम पूरी मुस्तैदी से करते हैं.उनने  कई बार हमें ब्लॉग-जगत की ऊँच-नीच भी समझाई और कई दबे छिपे रहस्य भी बताए !


मेरे वर्तमान ब्लॉग की रूपरेखा का पूरा श्रेय प्रवीण जी को है.उन्होंने हर वक्त मेरी मदद करी.यह मदद तकनीकी भी थी और नेटवर्किंग की भी.जहाँ -जहाँ  प्रवीण जी की  इन्टरनेट में प्रोफाइल थी,मैंने झट से वहाँ अपनी भी उपस्थिति दर्ज कर ली.मेरे लिए  नेटवर्किंग बिलकुल अलग कांसेप्ट था इसलिए जिज्ञासा वश या शौकिया जहाँ-तहाँ  हम भी बिखर गए !हालाँकि अब कई ऐसी जगहों की प्रोफाइल व्यर्थ हो गयी हैं !
फतेहपुर में ही ऐसे फोटुआते हुए !


पिछले लम्बे अरसे से प्रवीणजी पोस्ट लिखने के कार्यक्रम को लटकाए हुए हैं पर जल्द ही सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ हम सबके बीच में होंगे.कई पोस्टों पर वे नियमित रूप से अपनी प्रभावी टीपें दे रहे हैं.बीच-बीच में अपनी दुनाली से फायर भी कर देते हैं.


मैं जब भी अपने गृह जनपद रायबरेली जाता हूँ,कोशिश करके उनसे मिलता हूँ.बड़ी ही आत्मीयता से वे मुझे झेलते हैं और अपनी सारी ऊर्जा मुझमें स्थानांतरित कर देते हैं.उनके साथ लगातार संवाद होता रहता है,कोई समस्या आने पर मैं तुरत उनकी शरण में जाता हूँ और यह गुज़ारिश करता हूँ कि भई,इसे अब आप ही ठीक करें,यह मेरे बस की  बात नहीं है, और फिर वे अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच मेरी मुश्किल को आसान बना देते हैं !


यह मेरा सौभाग्य है कि मेरा ननिहाल फतेहपुर में है और मेरी जवानी का प्रथम चरण वहीँ बीता .सन १९८५ से १९९० तक मैं वहाँ लगातार रहा !फतेहपुर की पढाई से जहाँ आज मैं रोज़गार कर रहा हूँ और वहीँ वहाँ के सपूत प्रवीण जी की  मदद से तथाकथित 'ब्लॉगर' भी बन गया हूँ !


ब्लॉगिंग का ककहरा सिखाने वाले प्रवीणजी वास्तव में मेरे लिए प्राइमरी का मास्टर रहे जिन्होंने मेरे लिए ब्लॉगिंग की असल बुनियाद धरी.ऐसे गुरु पर मुझे फक्र है जो मेरा उतना ही दोस्त है !

26 टिप्‍पणियां:

  1. प्रवीणजी का ब्लॉग सदा ही प्रभावित करता है, चिन्तन शैली भी।

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  2. rochakta ke sath prastut kiya hai aapne swayam ka blogging ka sansmaran .badhai .

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  3. स्टाईल पर गुरु का प्रभाव स्पष्ट है ...ऐसे ही चेले नाम रोशन करते हैं ... :)
    प्रवीण भाई मास्टर जी उम्दा इंसान हैं मगर उनकी कदर इस मुआ ब्लॉग बलमुआ और चाँद ब्लागरों ने न जानी ..अपुन के तो राजा जानी है ..एक अलख फतेहपुर में जगनी है ......
    वे मेरे तकनीक गुरु हैं ...मोबाइल पर ओपेरा उन्ही की बदौलत है!
    बाकी तो चेले को सीकियाँ पहलवान देखकर घोर निराशा हुयी -गुरु और चेले का जोड़ा तो बड़ा बेढब निकला !
    बिलकुल डॉ जेकिल और मिस्टर हाईड सरीखा .....

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  4. @ प्रवीण जी ,
    एक तो त्रिवेदी , उस पर प्रवीण , तिस पर मास्टर , फिर संतोष जी के रिश्तेदार और ब्लॉग जगत की ऊंच नीच / दबे छिपे रहस्यों के जानकार, दुनिया के लंद फंद से वाकिफ और तकनीकी मददगार भी ! हम तो उन्हें अपने एरिया का ही मान के ही खुश थे पर अब इन सारी खूबियों का फ़ायदा उठाने की सोच भी बन रही है :)

    उनकी फायरिंग वाले निशान हमने भी देखे हैं :)

    @ संतोष जी ,
    एक छोटी सी आशंका है तनिक समाधान कीजियेगा ! १९८५ से १९९० तक की गिनती में कुल छै साल निकले हैं जोकि जवानी के प्रथम चरण के बराबर माने गये ! अब जानना यह है कि आगे कुल कितने चरण और गिने जाना हैं :)

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  5. @ अरविन्द मिश्रजी शायद ही मुख्य धारा का कोई ब्लॉगर हो जो प्रवीन जी से परिचित न हो.अधिकतर नए लोगों की उन्होंने यथा संभव मदद की है !

    इस सींकिया पहलवान से लट्ठ चलवाने का इरादा था क्या ?

    @ अली साब यह मेरा दुर्भाग्य ही था कि मेरी जवानी के प्रथम चरण ही आखिरी चरण हो गए उसके बाद तो हम सीधे बुढापे में उतर गए !

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  6. @जवानी के चरण कहाँ कहाँ और कितने पड़े ..अली भाई को बताईये !

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  7. मास्साब हमारे भी पसंदीदा ब्लोगर्स में से हैं !

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  8. मास्साब की तो बात ही निराली है, बज्ज पर तो मास्साब का जलवा था ।

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  9. एक अच्छी शख्सियत से परिचय कराने के लिए आभार!

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  10. पढकर अच्छा लगा। आपके गुरू और मित्र प्रवीण त्रिवेदी "मास्साब" के डाइहार्ड फ़ैंस में हमारी गिनती भी है।

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  11. इतनी प्रशंसा सुनकर फूलकर कुप्पा होने का पर्याप्त कारण बनता है !!
    हा हा हा ...धन्यवाद महाराज !!

    बाकी रही सारी प्रशंसाएं सुनने लौट कर आते हैं ...स्कूल का टाइम हो चला !!

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  12. @हमने वह बात खास कारण से कही थी वर्ना मास्साब से कौन मुआ परिचित नहीं !
    काम तो लोग उन्ही से निकलते हैं

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  13. प्रवीण त्रिवेदी जी के बारे में सहमत हूँ ....
    बेहतरीन ब्लागरों में से एक हैं ! आभार इस लेख के लिए !

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  14. @ प्रवीण जी फूलकर कुप्पा होने के पर्याप्त कारण आपके पास पहले से ही हैं,यह तो तनिक-सी टॉनिक है !

    @अरविन्द जी आप के निशाने कहाँ-कहाँ और फ़साने सारे जहां में हैं,यह बात फिर कभी !

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  15. भाई वाह ! अच्छा लगा दोनों को एक साथ देख कर ... 11 नवंबर को फ़तेहपुर के नेशनल हाइवे से गुज़र रहा था तो पत्नी को बता रहा था ... यहीं हमारे मास्साब रहते हैं... लेकिन कुछ अता पता नहीं था वरना धमक पड़ते ... चलिये फिर कभी... बहुत बहुत शुभकामनायें

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  16. बढ़िया....

    उनसे कहें कि फिर से लौटें इस दुनिया में....

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  17. प्रायमरी का मास्टर तो भरमाने के लिए लिखते हैं
    हैं तो तकनीक के मास्टर

    वैसे, अली जी ने तो निशाँ देखें है
    हमने तो फायरिंग भी देखी है :-)

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  18. @संतोष जी
    भैये मुझे आपका दोस्त बनने में ही ज्यादा खुशी मिलती है.....और जो ज्ञान यही हम आप ब्लॉग जगत के साथियों या वर्चुअल दुनिया के साथियों से मिला है ...उसी को आप सब के बीच बाँट देता हूँ .....अब इसको क्या नाम दूं ?....आप चाहें जो नाम दें ...मुझे तो "मेरा...क्या तुझको तेरा अर्पण" से ज्यादा कुछ नहीं लगता!

    @अरविन्द जी
    हालाँकि मुझे लगता है कि संतोष जी के लिखने में मेरा जैसा कोई प्रभाव नहीं है ......मेरा लिखना मुझे एक मास्टर जैसा लगता है ....जबकि संतोष जी इन्स्टैंट ओज से भरे हुए लेखक है ....इनकी ताकत इनका देशज तडका है जिसकी छौंक यह कभी ना कभी लगाते रहते हैं ! ओपेरा का ज्ञान भी यही कहीं से मिला था ...सो आप तक पहुँच गया ....मास्टर का और क्या काम? बताइये जरा! संतोष जी खुदै बहुत गुरु आदमी हैं ....ऊ कोहू के चेले नहीं बन सकते ...ई हमरा सिद्धांत रूप में मानना है ...बकिया तो उनका प्रेम है !


    @अली जी
    आपकी टीप का अध्ययन और मनन ही बहुत कुछ ऊर्जा भर देता है ....उसके निशाँ ही हमको अपनी वापसी के लिए प्रेरित करते रहते हैं !


    @पद्म सिंह जी
    लगता है कि नेशनल हाइवे से गुजरने वालों के लिए जल्दी ही गूगल मैप तैयार करना पड़ेगा ....:-)
    वैसे आपके सहारे बटा दें कि NH-2 से घर और विद्यालय लगभग ३-४ किलोमीटर के अंदर पड़ेंगे !


    @पाबला जी
    और वह सारी तकनीकी आप जैसे गुरुओं से ही अर्जित करते रहेंगे ....ठीक पहले की तरह !


    अन्य सभी को धन्यवाद और आभार .....मय डाईहार्ड फैन्स!!!

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  19. @ प्रवीण जी ,दर-असल यह आपका मूल्यांकन नहीं है,अपितु मेरी ओर से आभार-प्रकटन है.आपका समग्र मूल्यांकन तो कोई समग्र और वरिष्ठ ही कर सकता है.आप जल्द सक्रिय हों,यही हम सबकी आकांक्षा है !

    मुझे बिलकुल याद है कि 'जनसत्ता' जैसे प्रतिष्ठित अखबार ने अपने चर्चित ब्लॉग-स्तंभ 'समान्तर' की शुरुआत आपकी ही पोस्ट से की थी !

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  20. प्रवीण जी के बारे मे जानकर बहुत अच्छा लगा.अजी भतीजा किसका है ???? हा हा हा मेरा.सो..........लाखों मे एक तो होना ही था इन्हें.
    कुछ और भी लिखते न बहुत कम लिखा है. मैं उनसे कैसे मिली और कैसे उनकी बुआ बन गई याद नही.
    पर......मुझे खुशी इस बात की है कि ब्लॉग जगत ने मुझे फिर एक बहुत प्यारे शख्स से मिलाया. जब उन्हें इतना जानते हो तो और लिखो,लिखने मे कंजूसी !!!!!!!!!! फोटो अच्छे लगे.

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  21. @संतोष जी माप भी गजब ढाते हैं ,प्रवीण जी को निष्क्रिय बता दिया ..बस यहीं हम प्रवीण जी के बारे में कैजुअल वक्तव्यों में झोल खा जाते हैं !

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  22. @ संतोष जी ,
    अब जब लगभग सारी टिप्पणियां आ चुकी हैं तो कहने में कोई हर्ज नहीं है कि प्रवीण जी पे पोस्ट लिखते वक़्त आपने किंचित हडबडी से काम लिया है ! हुआ ये कि जो उनके गुण दिखने चाहिए वे ही निगेटिव शेड्स की प्रतीति कराने लगे ! अगर कोई बंदा उन्हें पहले से ना जानता हो तो उनके बारे में क्या सोचेगा ? यही कि लंद फंद और ब्लॉग जगत की खुराफातों का आशना या निष्णात व्यक्ति जबकि भाव ये आना चाहिये थे कि उन्होंने आपको ब्लॉग जगत के निगेटिव अंडर करेंट से सतर्क किया ! आपको तकनीकी रूप से सक्षम किया !

    बेहतर होता जो एक नवोदित ब्लागर बतौर ही सही उनके किसी बेहतरीन आलेख का लिंक ही दे देते जिसकी वज़ह से आप उनके ओर आकर्षित हुए,उनसे प्रभावित हुए ! खैर अब तो आलेख दो तीन दिन पुराना हो गया सो मेरे सुझावों का कोई मतलब ही नहीं रह गया पर उस दिन उसे पढकर मैं खुद भी हतप्रभ रह गया था ! वे मास्टर हैं , गुणी है इसलिए उन्होंने आलेख की हडबडाहट को महसूस कर लिया होगा वर्ना उनको इससे बेहतर आलेख का हक़ बनता है !

    अब चलते चलते एक मजाक...मित्रों को लठियाने से बेहतर है कि उनका लठैत बनके चला जाये :)

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  23. @ अरविन्दजी आप काहे को लड़ाने में लगे हैं?

    @अली साब आपकी नेक सलाहें सर-माथे पर !मैंने जिस नज़रिए से लिखा था उसमें आप की ख्वाहिश पूरी न कर पाया ,इसका मुझे दिली अफ़सोस है.

    अब जबकि कई लोगों ने इस बात के लिए लठियाया है तो अगली पोस्ट में ज़रूर कोशिश करता हूँ !

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  24. मेरा भी तो परिचय करवा दें संतोष जी मास्‍टर जी से। मुझे मास्‍टरों से मिलना बहुत अच्‍छा लगता है। बचपन में डर लगता था क्‍योंकि वह बहुत पिटाई करते थे। पिटा नहीं हूं क्‍योंकि डर का सदा दूर ही रहा हूं। कुछ तक कुछ नीक मैं भी सीख लूंगा। पर कहीं आप भी तो मास्‍टर नहीं, बेंत वाले।

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  25. @संतोष जी !
    जब मित्रता का दर्जा दिया तो आभार प्रकटन क्यूं कर? समग्र मूल्यांकन की स्थिति के लायक अभी नहीं समझ सकता हूँ ...आगे तो सब भविष्य के गर्त में है!.....हालाँकि कुछ असली रंग होते तो शायद आपके आईने में खुद को देख पाता? ....बहरहाल मित्रता की नाव में सब ऊंचा ऊंचा ही दिखता है .....सो शायद आप अपने असली तेवर की तलवार से नाप नहीं सके ? अच्छा हुआ ...जो बैसवारी तलवार से बच ही गए !! वैसे भी @अली जी! ने तो सब हाल एक ही वाक्य में कह जो दिया कि मित्रों को लठियाने से बेहतर है कि उनका लठैत बनके चला जाये :)

    आप को जय जय ......संग अली जी !
    (....अगली पोस्ट तक सुकून में रह लूं शायद ....बकौल @संतोष भीई !! )



    @अविनाश जी !
    लगता है कि अपने ब्लॉग पर अब छड़ी भी टांगनी पड़ेगी?...:-)

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  26. मुझे लगता है कि जितने खुशनसीब आप रहे हम भी उससे कुछ कम नहीं रहे ! प्रवीण जी के ब्लॉग 'प्राइमरी का मास्टर' और उनकी प्रोफाइल में दिये गए विवरण को पढ़कर ही मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ और मेरा हिन्दी प्रेम जाग गया ! उसके बाद फेसबुक पर उनके समूह 'बेसिक शिक्षा परिषद शिक्षक परिवार" में उन्होंने जिस प्रकार सभी अध्यापक मित्रों की मदद की ! यहाँ भी मदद विभाग से संबंधित और कम्प्यूटर तकनीकी से संबंधित दोनों प्रकार की थी ! कुल मिलाकर उन्होंने उस समूह में मुझ सहित सभी सदस्यों का दिल जीत लिया ! मुझे लगता है शायद की कोई ऐसा क्षेत्र हो किसकी उन्हें पूर्ण जानकारी ना हो !वो बहुत बड़े अनुभवी और जानकार हैं ! दिल खोलकर मित्रों की मदद करते हैं और हर समस्या का समाधान करने का प्रयास करते हैं ! अब वो मुझे अपने नये ब्लॉग 'बेसिक शिक्षा परिषद NEWS' पर अपने साथ जोड़कर ब्लॉगिंग के गुर सिखा रहे हैं ! मुझे उन्होंने अपने शिष्य के रूप में भी स्वीकार कर लिया है ! ऐसे गुरू का चेला होने पर मुझे गर्व है ! मैं आजीवन उनका आभारी रहूँगा ! अपनी प्रोफाइल में भी गर्व से लिखता हूँ ! -:
    Introduction
    "अपने गृह नगर उरई जनपद जालौन उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ | प्रेरणा श्रोत हमारे गुरु जी फतेहपुर निवासी श्री प्रवीण त्रिवेदी जी(प्राईमरी का मास्टर) हैं, उन्ही के पदचिन्हों पर चलने का प्रयास है |"

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