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10 फ़रवरी 2021

तुम्हारे लिए

 किसी के आँसुओं पर मत हँसो,

आह उसकी ख़ाक कर देगी तुम्हें।


तख़्त पर बैठा नहीं रहता कोई 

इक दिन जमीं ही आसरा देगी तुम्हें।


दक्षिणा देना ग़लत कब से हुआ 

पर रसीद उसकी गिरा देगी तुम्हें।


सियासी चाल चलिए ख़ूब लेकिन

धूल में भी ये मिला देगी तुम्हें ।

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