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5 अगस्त 2012

संयुक्त-राष्ट्र चले जाओ जी !


जब से देश की राजनीति से लालू-तत्व नदारद हुआ है,हमें ठठाकर हँसने का मौका शायद ही मिला हो. लगता है कि इस बात को हमारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने समझा है,तभी हमें पिछले कुछ दिनों से ज़ोरदार हँसी का अहसास कराया जा रहा है.सबसे मौलिक और सुखद अनुभूति हमारे कानून मंत्री ने कराई है.अन्ना टीम द्वारा लोकपाल की माँग पर उन्होंने सीधे और निष्कपट भाव से यह कहा कि भइया,इस बारे में अगर कुछ करना ही चाहते हो तो ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ चले जाओ,हम आपकी और सेवा नहीं कर सकते.सच पूछिए,इस बयान की साफ़गोई से हम तो बिलकुल गदगद हुए जा रहे हैं.

वैसे हम सबको आनंद प्रदान करने की यह इनकी पहली कोशिश नहीं है.इससे पहले उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में ये अपनी ज़ोरदार उपस्थिति दर्ज़ करा चुके हैं.तब हमें हंसाने के लिए ये खुद रोने लगे थे और सुबकते हुए बोले थे कि बाटला कांड को सुनकर उनकी नेता भी ऐसे ही जार-जार रोई थीं.हमें तो लगता है कि उनकी इस बात से इनकी पार्टी के समर्थक इतना दुखी हो गए कि वे वोट डालना ही भूल गए.फ़िर भी,अपने नुकसान की क़ीमत पर अगर इनका ज़ज्बा क़ायम है तो यह बड़ी बात है.

इस सरकार को महंगाई से इतना दुःख है कि वो लगातार हमें हंसाने और खुश रखने का प्रयास कर रही है.समय-समय पर इसके सहयोगी दल भी इस काम में अपना भरपूर सहयोग दे रहे हैं,पर मुख्य सत्ता दल होने के नाते कांग्रेस अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होना चाहती.इसलिए उसके एक और मंत्री ने अन्ना-टीम के आन्दोलन को ड्रामा करार देने में ज़्यादा समय नहीं लिया.उनका मतलब यही था कि ड्रामा होगा तभी तो जनता का मनोरंजन होगा.वे भी यही चाहते हैं कि जनता ड्रामा देखती रहे और बाकी चीज़ें भूल जाय.

अभी लगातार दो दिन तक हमारे देश में बिजली के ग्रिड फेल हो गए ,तो अधिकतर हिस्से अँधेरे में ही मगन थे.बिजली मंत्री ने उन्हें यह कहकर खुश कर दिया कि इसी तरह के हालात से अमेरिका भी जूझा है और उसे उबरने में तो चार दिन लगे थे,जबकि हमने यह कमाल सिर्फ दस घंटे में ही कर दिखाया है.सरकार ने भी उनकी बात और उनके काम को गंभीरता से लिया और तुरत ही पदोन्नति के आदेश दे दिए.सुनते हैं कि मंत्रीजी ने भी नए मंत्रालय को सँभालने से पहले ही अमेरिका में हुई कई ऐसी घटनाओं का रिकॉर्ड तलब कर लिया है ताकि समय आने पर वे उनकी नज़ीर देकर हमारा मनोरंजन कर सकें.

हम तो कहते हैं कि बिजली नहीं है,पानी नहीं है,सड़क नहीं है तो बेखटके हम सबको संयुक्त राष्ट्र की शरण में जाना चाहिए क्योंकि वो भी समझदार है कि हमारी सरकार का मुखिया कितना लाचार है.अब जब तक राहुल बाबा का आगमन नहीं होता,लोकपाल तो छोड़ो, हमें हर ऐसे काम के लिए अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र का मुँह देखना पड़ेगा.इससे हमारी पीर भी कम होगी और सरकार की भी.पर,यह भी हो सकता है कि ऐसा करते-करते हमारी इतनी आदत पड़ जाय और आगामी चुनावों में भी हम वोट मांगने वालों से कह दें कि भइया,आप भी संयुक्त राष्ट्र चले जाओ,वोट भी वही देगा,तब कैसा रहेगा ? कभी उनको भी तो हँसने का मौका हमें देना चाहिए कि नहीं..?


24 टिप्‍पणियां:

  1. हम काहे जांय संयुक्त राष्ट्र? यही हाल रहा तो सभी राष्ट्र संयुक्त रूप से यहीं आ जायेंगे।:)

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  2. क़ानून मंत्री के व्यान से,गद-गद संतोषानंद
    लोकपाल की छोडो, पढकर आ गया आनंद,,,,

    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

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  3. इनका मतलब राहुल बाबा के दरबार से है ... वोही इनका मंदिर, मस्जिद चर्च और संयुक्त राष्ट्र है ...

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  4. संयुक्त राष्ट्र ? ये कहाँ है जी ?

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    1. मतलब हम कहाँ चले जाएँ जी ?

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    2. लेकिन क्यों चले जाएँ जी ?

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    3. हमने तो कुछ किया भी नहीं है जी ?

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    4. आपने लोक आख्यान सुना-सुनाकर कम पकाया है ?????
      :-):-)

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    5. :) लोक आख्यान मंत्री को हाज़िर किया जाय!

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    6. देखिये अली सा! मन की बात संतोष जी न कह दी, स्माइल भी नहीं लगाया!! गंभीरता को समझिये।:)

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    7. तो अब पकाना भी गुनाह हो गया :)

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  5. बिजली के ग्रिड फेल करवाने के पीछे साजिश थी कि उन दो दिनों में अन्ना टीम का टेलीकास्ट ताकि कोई न कर सके/ न देख सके.न मोबाइल चार्ज हों न लोग ख़बरों का आदान - प्रदान करें.
    सरकार तो आत्ममुग्ध है अब पहले से भी अधिक!

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  6. संयुक्त राष्ट्र भी वही असहायता दिखलाता है..

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  7. खाली आंतें न सहें, गुदगुदाय न पेट |
    डरिये मत कानून से, झापड़ एक लपेट |

    झापड़ एक लपेट, हंसाना भूल सयाना |
    कम करवाए रेट, खिलाये सस्ता दाना |

    है पापी यह घोर, चोर सा सकल कबीना |
    करके यह जोकरी, चैन जनता का छीना ||

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  8. ऐसे ही सब चलता रहा तो हम निश्चित तौर पर शरणार्थी हो ही जायेगे किसी न किसी के ...

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  9. हम तो तन्नी गुरु की तरह कहेंगे- जिस ससुरे को आना होगा खुदै आयेगा। हम न जायेंगे कहीं राष्ट्रसंघ/फ़ास्ट्रसंघ।

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  10. its no use to go anywhere except inside Indian Parliament.
    Lets hope this Time Anna party will go inside Parliament.

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  11. दर्द जब हद से गुजर जाए ,
    तो ठहाका लगाने से कम हो जाता है !

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  12. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।

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  13. bilkul unhe bhi hasne ka mauka dena chahiye :)

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  14. हाहा.. मस्त पोस्ट!
    "आगामी चुनावों में भी हम वोट मांगने वालों से कह दें कि भइया,आप भी संयुक्त राष्ट्र चले जाओ,वोट भी वही देगा" ये तो मस्त है बिलकुल! हाहा..

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  15. संयुक्त राष्ट्र असंयुक्त है संतोष जी.

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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