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23 अप्रैल 2012

बने रहना कठिन है !

दिन-ब-दिन बदलते जा रहे हैं हम ,
आदमी पैदा हुए थे ,पर बने रहना कठिन है !(१)

सीख लीं मक्कारियाँ,खादी पहन हम ने,
रहनुमा तो बन गए ,पर बने रहना कठिन है !(२)

अब समंदर में लहर से चौंक जाता हूँ,
पतवार तो है हाथ में ,पर बने रहना कठिन है !(३)

तेज़  भागी जा रही रफ़्तार से ये ज़िन्दगी,
चली थी संग  सफ़र में, पर बने रहना कठिन है !(४)

दरख़्त जंगल के पुराने हो चले हैं,
नए-से कुछ उगे हैं,पर बने रहना कठिन है !(५)

गीत,दोहे,छंद सब तो बन चुके,
लेखनी तलवार है , पर बने रहना कठिन है !(६)

36 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति .

    कृपया मेरे ब्लॉग meri kavitayen की 150वीं पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें तथा मेरी अब तक की काव्य यात्रा पर अपनी प्रति क्रिया दें , आभारी होऊंगा .

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  2. दिन-ब-दिन बदलते जा रहे हैं हम ,
    आदमी पैदा हुए थे ,पर बने रहना कठिन है !(१)

    ....बहुत सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति ....

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  3. बिल्कुल सच कह रहे हैं । अन्त तक वैसे ही बने रहना कठिन होता है ।

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  4. सीख लीं मक्कारियाँ,खादी पहन हम ने,
    रहनुमा तो बन गए ,पर बने रहना कठिन है !
    संतोष भाई बड़े सीधे-सरल शब्दों में आपने ज़िन्दगी में लोगों के बदलते फिलॉसॉफी को कह दिया है। बड़ा मुश्किल है सतत एक संकल्प, एक विचार और एक सही सोच को निभाते जाना। जो निभाते हैं, दुनिया उन्हें सदा याद रखती है।
    पर आज हमारे नीति निर्माता क्या-क्या नंगा खेल खेलते हैं सरे आम लोग देख रहे हैं।

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  5. आदमी बने रहना
    ही कठिन है --

    ईश्वर-
    आदमी बने रहने
    में सहायता करे -

    सादर -

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  6. दिन-ब-दिन बदलते जा रहे हैं हम ,
    आदमी पैदा हुए थे ,पर बने रहना कठिन है
    बहुत सही कहा त्रिवेदी जी आपने
    बन गये इंसान फिर भी दूर है इंसानियत से
    क्या कमी है जो नहीं लड़ पा रहे हैवानियत से

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  7. शुरू तो कर लेते हैं सभी
    बस लगे रहना कठिन है ।

    लगे रहिये । इसी में जीवन है ।

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  8. सभ्यता, ईमान, संस्कृति, धर्म-कर्म भी बेचकर,
    बने व्यापारी, नहीं इंसान ये बनना कठिन है!

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  9. बहुत हाथ-पाँव मारने होते हैं बने रहने के लिए..................
    आसान है मिट जाना...............बने रहना कठिन है.

    अनु

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  10. वाह, लाजवाब।

    आपकी कविता पढ़कर मजा आ गया,
    तारीफ करने की सोची, पर शब्द खोजना कठिन है।

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  11. सीख लीं मक्कारियाँ,खादी पहन हम ने,
    रहनुमा तो बन गए ,पर बने रहना कठिन है,

    वाह!!!!बहुत सुंदर लाजबाब प्रस्तुति,..प्रभावी रचना,..

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

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  12. जबरियन तुकबंदी है मास्साब जी!

    मौज-मजे के लिये ठीक है। :)

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    1. गुरूजी ,माना कि कुछ जगह पर ग़ज़ल की ज़रूरत पूरा नहीं होती पर हमने हर शेर में भाव देने की कोशिश की है.
      'कलम तलवार है' को 'लेखनी तलवार है' से बदल देता हूँ.

      ...कभी-कभी हमें भी गंभीरता से लिया करो !

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    2. तो फिर आपको लिखना चाहिये था ...

      ज्यादातर गज़ल की ज़रूरतें पूरी की हैं हमने
      बस कुछ जगह गज़ल बने रहना कठिन है :)

      हटाएं
    3. अरे आप तो भाऊक हो गये। :)
      चलिये अच्छा अपना कमेंट बदल देता हूं।

      "जबरियन तुकबंदी है मास्साब जी!
      मौज-मजे के लिये ठीक है। :)"

      की जगह:

      "शानदार अभिव्यक्ति .लाजबाब प्रस्तुति"

      पढ़ें।

      हटाएं
    4. अनूपजी,बदला हुआ कमेन्ट तो और भी मारक है !!

      हम पहले वाले से ही काम चला लेंगे,
      अब तो कमेन्ट का टिके रहना कठिन है !

      हटाएं
    5. शेर का आवाह्न किया है भाव गहरे डालकर
      शेर आया ब्लॉग पर गज़ल के गजरे डालकर।

      हाय! शिकारी घूमते हैं कमेंट की तलवार लेकर
      चल दिये फिर मुस्करा कर घाव गहरे डालकर।

      अब ऐसे किसी का कुछ भी लिखना कठिन है
      दर्द है पर दर्द को अभिव्यक्त करना कठिन है।

      हटाएं
  13. तेज़ भागी जा रही रफ़्तार से ये ज़िन्दगी,
    चली थी संग सफ़र में, पर बने रहना कठिन है !(४)

    बहुत बढ़िया ....आसान तो नहीं पर बने रहने की कोशिश ज़रूर हो.....

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  14. इसको ना लिखते तो पुरानी स्थिति बनी रहती पर आप स्वयं बने रहना चाहो तब ना :)

    संतोष जी बने रहने (यथावत) की कामना अनैसर्गिक और अस्वाभाविक है इसलिए आज की कविता का शीर्षक बनता था अप्राकृतिक इच्छायें :)

    चूंकि आपने इत्ती मेहनत से लिखी है इसलिए हमारी ओर से भी लगना चाहिये कि हम भी पढते हुए ईमानदार बने हुए हैं सो जे लेओ जो क्रमशः जोड़ कर देखा उसे भी बांचो ...:)

    (१) पर बेवकूफ बने रहना कठिन है !
    (२) पर जनता बने रहना कठिन है !
    (३) पर नाविक बने रहना कठिन है !
    (४) पर बीबी बने रहना कठिन है !
    (५) पर पौधा बने रहना कठिन है !
    (६) पर कविता बने रहना कठिन है !

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    उत्तर
    1. अली भाई ,
      आपने बहुत-कुछ जुगत मिलाई है.हर शेर के मुताबिक उसकी इमदाद की है,जिससे मायने और निखर गए हैं !

      शुक्रिया !

      हटाएं
  15. और हां आपके यहां स्पैम का खुला है मुंह
    बेचारी टिप्पणी को टिप्पणी बने रहना कठिन है :)

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  16. महाराज ....इन सारी कठिनाइयों को सरल बनाने की जिम्मेदारी आखिर कौन उठाएगा ?

    बाकौल दुष्यंत कुमार ----मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही ,
    हो कहीं भी आग , लेकिन आग जलनी चाहिए !


    ..........आखिरकार ये आग हम - आप जैसे लोगों को ही जलानी पड़ेगी !

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  17. वाकई ये सब बहुत कठिन है -आपसे पूरी सहानुभूति है !

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  18. .... सटीक और सुन्दर अभिव्यक्ति ....

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  19. सचमुच कठिन है, सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  20. आपने सीख ली
    मक्कारियां वाह
    हम भी सीखना
    चाह रहे हैं कब से
    कोई नहीं है सिखा रहा
    खादी का कुर्ता खरीद के
    रखा हुवा है कब से
    उसे भी कीड़ा ही है खा रहा ।

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  21. वाकई इस दुनिया में बहुत कुछ कठिन है तो ...मगर इंसान बने रहना ही होगा !
    अच्छी ग़ज़ल !

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  22. अब समंदर में लहर से चौंक जाता हूँ,
    पतवार तो है हाथ में ,पर बने रहना कठिन है ...

    सब कुछ बदल रहा है ... हर शेर इसी बदलाव कों दर्शाता है ... इंसान बने रंह भी आसान नहीं है अब तो ...

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  23. दिन-ब-दिन बदलते जा रहे हैं हम ,
    आदमी पैदा हुए थे ,पर बने रहना कठिन है ।

    बहुत सही कहा है आपने ...बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  24. तेज़ भागी जा रही रफ़्तार से ये ज़िन्दगी,
    चली थी संग सफ़र में, पर बने रहना कठिन है

    .........बहुत सच लिखा आपने ....अंतिम पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं । खूबसूरत अंदाज़

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  25. बहुत खूब,संतोष जी.
    इतनी सुन्दर गजल है आपकी कि
    क्या कहें,टिपण्णी करना कठिन है.

    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार जी.

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