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15 जुलाई 2011

स्थितिप्रज्ञता !

साभार:गूगल बाबा
हम हाथ बाँधे इंतज़ार में हैं,
कोई आयेगा देवदूत
जो हमें
बम,गोली,दहशत से
निज़ात दिलाएगा,
ख़बरों से  अब ख़ुशी गायब है!
केवल ब्लास्ट और ब्रेकिंग है ,
ख़बरें टूट रही हैं,
डराती हैं हमें !
वो अपने मक़सद में कामयाब हैं,
हम आतंकी को क़ैद करके खुश हैं,
आतंक छुट्टा घूम रहा है !
हम अभी भी दूसरों का मुँह ताक रहे हैं,
वो हमारे लिए ड्रोन मारेगा,
हमारी जेब से निकाल कर उनको 
फाँसी के फंदे पर चढ़ाएगा !
और हम
केवल योजनायें बनायेंगे,
व्यवस्था 'चाक-चौबंद'
और मुआवजा राशि बढ़ाएँगे,
पड़ोस में नयी सूची भेजकर
आराम फ़रमायेंगे , 
इस तरह जनता को भरमायेंगे,
क्योंकि
वह हमारी दूसरी जेब में है !

 




13 टिप्‍पणियां:

  1. वाह , बहुत खूब संतोष भाई । सब कुछ बयां कर दिया । आपका अंदाज़ जुदा है और हमें खूब भाता है । आज यही एक नियति बन कर रह गई है

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  2. स्वर्ग से किसी के आने की प्रतीक्षा में सब स्वर्गवासी हुये जा रहे हैं, कब जागेंगे हम।

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  3. bilkul sahi likha hai aapne .ek ke bad ek bam visfot me masoom mare ja rahe hai aur sarkar keval tamasha dekh rahi hai .sarthak post

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  4. एक तल्ख़ हक़ीक़त को आपने काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी है, जो मन को झकझोड़ जाती है।

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  5. वोट ध्यान से दें सभी लोग, तो स्थिति बदल सकती है, पार्टी को नहीं, जाति को नहीं, अच्छे लोगों को वोट दें,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  6. सब राम भरोसे ही चल रहा है और ताजुब यह कि लोग इसके आदी होते जा रहे हैं. अगर आप जैसे बुद्धिजीवी इसको करोड़ते न रहे तो ऐसे जख्म पर अब लोग ध्यान देना भी बंद कर रहे है.

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  7. सही कहा आपने ...पता नहीं हमारी सरकार कब पूर्ण रूप से जागेगी

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  8. और हम
    केवल योजनायें बनायेंगे,
    व्यवस्था चाक-चौबंद
    और मुआवजा राशि बढ़ाएँगे

    व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष ।
    सामयिक और उद्वेलित करने वाली कविता।

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  9. लगता है आम आदमी की नियति में बस यूँ ही मरना लिखा है।

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  10. परिवर्तन के लिए दूसरों का मुंह ताकना कायरता की निशानी है ...महाराज ! यह स्थितिप्रज्ञता से ज्यादा जड़ता की स्थिति मुझे लगती है| आम आदमी जब भी आम होने के मानसिक अवरोध से निकल परिवर्तनकामी हो जाएगा ......आपकी वर्तमान स्थितिप्रज्ञता हवा हो जायेगी |

    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति हुजूर !
    बस अब कुछ कचोटता है पद कर बारम्बार !

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  11. सच कहा....किसका इन्तजार....बहुत उम्दा!!!

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  12. अच्छी अभिव्यक्ति है। कौन बहाये पसीना अपने सुधार के लिये। जब अति हो जायेगी तब भगवान आयेंगे ही अवतार लेकर! :)

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  13. बड़ा जालिम-जाहिल खूनी जायका है योजना-कर्ताओं का ! एक बार भी उनके दुख के साथी नहीं होते जो दुख से जार जार हैं! दोनों जेबें उनकी हैं न !!

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