फेसबुक पर कमेन्ट और लाइक करने की प्रवृत्ति पर कुछ दिनों से कहना चाह रहा हूँ.यह बेहद निजी अनुभव है। हो सकता है,आप इससे इत्तेफाक न रखते हों !
१)आपके खास मित्र आपके प्रिंट मीडिया पर छपे लेख पर व्यक्तिगत रूप से फ़ोन कर देंगे,इनबॉक्स में तारीफों के पुल बहा देंगे पर स्टेटस को देखते ही अपनी छाती पर बड़ा-सा पत्थर रख लेंगे .
२) आपकी जिस पोस्ट पर चारों तरफ से कमेन्ट और लाइक की बौछार होती है,उस पर भी कुछ खास लोग अपने चारों ओर कुहरे की चादर तान लेंगे.हो सकता है इससे उनकी छाती पर साँप लोटने की आशंका कम हो जाती हो .
३)मामला बेहद नजदीकी और न बचने जैसा हुआ तो लाइक करके निकल लेंगे,कमेन्ट फ़िर भी नहीं करेंगे !इस मामले में वे पूरे घाघ होते हैं.मानो एकाध कमेन्ट कर देने पर उनके पास 'जन-धन' खाते जैसा जीरो बैलेंस हो जायेगा !
४)ऐसे दोस्त या खास लोग तब ज़रूर कमेन्ट करेंगे ,जब किसी पोस्ट पर आप चौतरफ़ा घिर जायेंगे.वे उसमें कोई प्रतिकूल टिप्पणी तो नहीं करेंगे पर कमेन्ट करके यह ज़रूर जता देंगे कि इस फजीहत के चश्मदीद गवाह हैं वो.
५)ऐसा संभव नहीं है कि कोई हर पोस्ट में जाए या किसी को अच्छी ही लगे पर जिस पोस्ट को यदि कोई व्यक्तिगत रूप से सराहता है तो पब्लिकली क्यों नहीं कुछ कहता ? इसका मुख्य कारण मेरी समझ में यही आता है कि ऐसे खास लोग अपने दोस्त को बिला-वजह अहंकार आ जाने या बौरा जाने से बचाते हैं। कुछ लोगों को यह भी आशंका होती है कि यहाँ उनके कमेन्ट के सहारे दूसरे लोग उनकी पोस्टों के लाइक और कमेन्ट के स्कोर की पड़ताल न कर लें !
६) ऐसे खास दोस्त मित्र की सुपरहिट पोस्ट में जाने के बजाय किसी देवी के 'गुड मोर्निंग' या 'घास-पत्ती-फूल' पर कूल-कूल रिएक्शन ज़रूर देंगे.वहाँ वे फेसबुक के तीनों प्रारूपों का उपयोग कर लेते हैं,मसलन चैटबॉक्स,कमेन्ट और लाइक !
७) अपनी भैंस जैसी शक्ल पर हमसे कमेन्ट ले लेंगे पर हमारी गऊ जैसी मनमोहक सल्फी पर लाइक भी ना देंगे !
८) कुछ बड़के टाइप के लोग अपनी रेटिंग को लेकर बड़े सतर्क रहते हैं। वे हरदम इस बात से आशंकित रहते हैं कि लिखने वाला उनके आगे बच्चा है, उनके लाइक करने से कहीं एकदम से बड़ा हो गया तो उनका बड़ापन कहाँ मुँह छिपाएगा !
*इस पोस्ट का उद्देश्य ऐसे खास मित्रों से सावधान करने का है,जो फेसबुक पर आपकी लहलहाती फ़सल को देखकर जल-भुनते हैं.कृपया ऐसी भीषण गर्मी में उन्हें और न जलाएं :)
१)आपके खास मित्र आपके प्रिंट मीडिया पर छपे लेख पर व्यक्तिगत रूप से फ़ोन कर देंगे,इनबॉक्स में तारीफों के पुल बहा देंगे पर स्टेटस को देखते ही अपनी छाती पर बड़ा-सा पत्थर रख लेंगे .
२) आपकी जिस पोस्ट पर चारों तरफ से कमेन्ट और लाइक की बौछार होती है,उस पर भी कुछ खास लोग अपने चारों ओर कुहरे की चादर तान लेंगे.हो सकता है इससे उनकी छाती पर साँप लोटने की आशंका कम हो जाती हो .
३)मामला बेहद नजदीकी और न बचने जैसा हुआ तो लाइक करके निकल लेंगे,कमेन्ट फ़िर भी नहीं करेंगे !इस मामले में वे पूरे घाघ होते हैं.मानो एकाध कमेन्ट कर देने पर उनके पास 'जन-धन' खाते जैसा जीरो बैलेंस हो जायेगा !
४)ऐसे दोस्त या खास लोग तब ज़रूर कमेन्ट करेंगे ,जब किसी पोस्ट पर आप चौतरफ़ा घिर जायेंगे.वे उसमें कोई प्रतिकूल टिप्पणी तो नहीं करेंगे पर कमेन्ट करके यह ज़रूर जता देंगे कि इस फजीहत के चश्मदीद गवाह हैं वो.
५)ऐसा संभव नहीं है कि कोई हर पोस्ट में जाए या किसी को अच्छी ही लगे पर जिस पोस्ट को यदि कोई व्यक्तिगत रूप से सराहता है तो पब्लिकली क्यों नहीं कुछ कहता ? इसका मुख्य कारण मेरी समझ में यही आता है कि ऐसे खास लोग अपने दोस्त को बिला-वजह अहंकार आ जाने या बौरा जाने से बचाते हैं। कुछ लोगों को यह भी आशंका होती है कि यहाँ उनके कमेन्ट के सहारे दूसरे लोग उनकी पोस्टों के लाइक और कमेन्ट के स्कोर की पड़ताल न कर लें !
६) ऐसे खास दोस्त मित्र की सुपरहिट पोस्ट में जाने के बजाय किसी देवी के 'गुड मोर्निंग' या 'घास-पत्ती-फूल' पर कूल-कूल रिएक्शन ज़रूर देंगे.वहाँ वे फेसबुक के तीनों प्रारूपों का उपयोग कर लेते हैं,मसलन चैटबॉक्स,कमेन्ट और लाइक !
७) अपनी भैंस जैसी शक्ल पर हमसे कमेन्ट ले लेंगे पर हमारी गऊ जैसी मनमोहक सल्फी पर लाइक भी ना देंगे !
८) कुछ बड़के टाइप के लोग अपनी रेटिंग को लेकर बड़े सतर्क रहते हैं। वे हरदम इस बात से आशंकित रहते हैं कि लिखने वाला उनके आगे बच्चा है, उनके लाइक करने से कहीं एकदम से बड़ा हो गया तो उनका बड़ापन कहाँ मुँह छिपाएगा !
*इस पोस्ट का उद्देश्य ऐसे खास मित्रों से सावधान करने का है,जो फेसबुक पर आपकी लहलहाती फ़सल को देखकर जल-भुनते हैं.कृपया ऐसी भीषण गर्मी में उन्हें और न जलाएं :)