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24 नवंबर 2013

बहुत कठिन समय है साहब !

बहुत कठिन समय है साहब,

पता नहीं कब,कौन पत्रकार तरुण
और ईमानदार केजरीवाल हो जाए,

सब कुछ दांव पर है,
पता नहीं कब कोई संत आसाराम
और राजनीति साहब हो जाए !

बहुत कठिन समय है साहब,
पता नहीं
कब कोई सामाजिक योद्धा
कार्पोरेट पत्रिका का संपादक
और कोई न्यायाधीश मुजरिम बन जाए !! 

बहुत कठिन समय है साहब ,
पता नहीं कब पहरेदार लुटेरा
और चोर चौकीदार हो जाए !!