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13 मई 2013

क्षणिकाएं !

(१) सुख और दुःख

ऐसा वक्त कब आएगा
जब हम खुशी में
बचे रहेंगे सरल
और दर्द में अविकल
न खुशी में चहकेंगे और 
न ही दुःख में होंगे विह्वल
क्या हमारे जीते जी
ऐसा वक्त आएगा
जब हम चीजों को
एक नज़र से देखने लगेंगे ?
                                                        
 (२ )  कवि बनना स्थगित कर दिया है

दर्द को कितना बताएँ

हर तरफ मौजूद है.

समय नहीं मेरे पास

कि इस पर महाकाव्य लिखूं !

तुम मेरे खुशी के गीतों में ही दर्द बांच लेना,

अपने दर्द को मेरी खुशी में तिरोहित कर देना,

ऐसे ही जब तुम खुशी के नगमे गाओगे,

मैं तुम्हारा दर्द जान जाऊँगा !

फ़िलहाल,मैंने कवि बनना स्थगित कर दिया है !
 
(३) मदर्स डे
माँ की पहचान
अब फेसबुक कराएगा,
बाज़ार बड़ी ज़ोर से
माँ-माँ चिल्लाएगा ,
मगर वह भाव
कहाँ से लाएगा ?
सोचा न था,
एक दिन
माँ-बाप का रिश्ता
यूँ खुलेआम नुमाइश पे आएगा !!
 

15 टिप्‍पणियां:

  1. कविता क्या है, सीधी सच्ची बात!

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  2. बेहतरीन...............
    तीनों लाजवाब!!!!

    अनु

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  3. अच्छा किया...
    यहाँ पहले ही बहुत हैं ...
    :)

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  4. सुख दुःख एक ही नजर से देखने लगे तो योगी ही ना हो जाए . सामान्य इंसान इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता .
    कवि ही कविता लिखें , ये कौन जरुरी है ..

    बढ़िया पैकेज :)

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  5. तीनो खरी है सटीक है ,बेहतरीन क्षणिकाएं !

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post हे ! भारत के मातायों
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  6. क्षण मात्र के लिए स्तब्ध करती क्षणिकाएं.....
    सटीक और स्पष्ट

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  7. अंतिम क्षणिका तो बेजोड़ है!
    बहुत ही अच्छा लगा..

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  8. सार्थक और सटीक प्रस्तुति.

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