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18 अप्रैल 2013

गर्मी के दोहे !


गरम हवा अगिया रही,बरस रहे अंगार !
चैत महीना हाल यह,आगे हाहाकार !!(१)

सूरज हमसे दूर हो,चंदा आए पास !
पंछी पानी ढूँढते,नहीं बुझाती प्यास !!(२)

पकी फसल को चूमता,हँसिया लिए किसान !
माथे पर चिंता लदी,बिटिया हुई जवान !!(३)

सोना गिरे बजार में,हरिया मुख-मुस्कान !
गेहूँ सोना ही लगे ,जब  आए खलिहान !!(४)

गोरी पनघट पे खड़ी,पानी बिन हैं कूप !
बालम प्यासे खेत में,संग खड़ी है धूप !!(५)
 

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया दोहे.....
    बालम के साथ खडी धूप देख गोरी जल गयी होगी......
    :-)
    सादर
    अनु

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  2. किसान के लिए उसकी फसल ही सोना है , यह दोहा बहुत भाया !
    अच्छे दोहे हैं , मगर अभी अंगार बरसने जैसी गर्मी पड़ी ही कहाँ है।

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  3. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय ||

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  4. ताप,तरस,संताप,आश और विवश.

    शानदार दोहे

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  5. गर्मी तो इतनी भई, हमसे सही न जाय ।
    दोहा भी न पढ़ सकें, देखो पिघला जाय ।।

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