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11 दिसंबर 2012

हवा का झोंका !

उनका आना
ताज़ा हवा के झोंके की तरह
खिला देता है तन-मन
सूखे मरुथल में गिरती हैं बूंदें
उमगने लगती है अमराई
झड़ते है सूखे पत्ते
और आती दिखती हैं कोपलें
छोटा-सा जीवन
कितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
उनके आने की खबर से ही !

21 टिप्‍पणियां:

  1. छोटा-सा जीवन
    कितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
    उनके आने की खबर से ही !
    वाह ... बहुत खूब

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  2. बहुत सुन्दर ...
    आज आप और हम कुछ एकई सुर में बजे हैं :-)

    सादर
    अनु

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  3. यादों में मन लहलहा देने की क्षमता रहती है।

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  4. छोटा-सा जीवन
    कितने बड़े-बड़े सपने देखने लगता है
    उनके आने की खबर से ही !

    इन लाइनों में गूढ़ प्रेम दर्शन है। आपको प्रणाम और शुभकामनाएं।

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  5. सुंदर और कोमल अभिव्यक्ति ...
    बधाई एवं शुभकामनायें ...

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  6. फेसबुक से लेकर ब्लॉग तक सारा माहौल खुशनुमा है। :)

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  7. ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है,
    कहीं ये वो तो नहीं..
    या फिर
    अपने आप रातों में
    चिलमनें सरकती हैं
    चौंकते हैं दरवाज़े
    सीढियां धडकती हैं.. अपने आप!!
    बहुत खूब, माट्साब!!

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  8. आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (12-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
    सूचनार्थ |

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  9. ... वो समझते हैं के बीमार का हल अच्छा है

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  10. यह आशा जीवन का रस है ...
    शुभकामनायें आपको !

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  11. बहुत खूब ... ये किसकी है आहट ... ये कौन आया ...
    प्रेम की खुशबू लिए ...

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  12. बहुत खूब...

    ई..कूल में
    कौन आया माट्साब?
    या यह तब की बात है
    जब आप
    नहीं थे माट्साब!

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  13. लेने कल गये थे। कविता पांच दिन पहले ठेल दी। प्रायोजित कविता कहलायेगी ये तो।

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