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18 सितंबर 2011

ग़ज़ल जैसा कुछ !

बातों में है  गज़ब की ज़ुम्बिश,      ,
जानें कहाँ कहर बरपेगा ?१!

सूखी धरती के दामन में,
जाने कब बादल बरसेगा ?२! ,

कौन बचा तेरी गिरफ़्त से,
कृत्रिम-हंसी कब तक ओढ़ेगा ?३!

तेरी सोहबत में ये जाना,
क़ायदा कोई नहीं चलेगा !४!

तेरी नफ़रत इतनी प्यारी,
चाहत को कैसे परखेगा ? ५!

फूलों का गुलदस्ता 'चंचल',
कब जीवन का हार बनेगा ? ६!



ग़ज़ल लिखना तो एक दिखावा है,
अस्ल में तो राग-ए-हसन सुनाना है........सुनिए 
 

11 टिप्‍पणियां:

  1. ये जनाब चंचल कौन हैं -नाहक ही हलकान हो रहे हैं ...
    अब आप मेहंदी हसन की ऐसी छौक लगा देते हैं कि
    सकूं से जाए भी न बने ....
    इस बेकसिये हिज्र में मज्बूरिये नुक्स हम उन्हें पुकारें तो पुकारे न बने ...
    दिल से मुबारकबाद .....आपकी मनोकामना कभी तो पूरी हो ....

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  2. हमें तो सुनने से अधिक पढ़ने में रस आया।

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  3. aapka takhallus 'chanchal' kb se ho gya?yh chanchal koi aur hai to aapki glz me kya kr rhi hai?aur unki gzl hai to aapne unka zikr kyon nhi kiya?ha ha ha गज़लों के बारे में मुझे ज्यादा नही मालूम पड़ता कि शिल्प की दृष्टि से सही है या नही?भावों को देखती हूँ सो....... एक कसक,एक ख्वाहिश को देख रही हूँ.

    बातों में है गज़ब की ज़ुम्बिश, ,
    जानें कहाँ कहर बरपेगा ?१!

    सूखी धरती के दामन में,
    जाने कब बादल बरसेगा '
    वाह जी !

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  4. सुंदर कोशिश !
    तीसरे में कोशिश लड़खड़ाई है।

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  5. वाह वाह! हर पंक्ति बेहतरीन पर सबसे सुन्दर यह:
    तेरी नफ़रत इतनी प्यारी,
    चाहत को कैसे परखेगा ?

    इस सुन्दर ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएं..

    आभार
    तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...

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  6. डगमगाते पगों से एक दिन तो मग भरेगा
    । डगमगाहट इसलिए आई होगी क्‍योंकि भूकंप आ रहा होगा और गजलकार चंचल गजल लिखने के लिए मचल रहा होगा।

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  7. ग़ज़ल लिखने का प्रयास अच्छा है ।
    रंजिश ही सही ---
    लेकिन जिसे बुला रहे हो वो तो चल दिए । :)

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  8. ग़ज़ल जैसा कुछ नहीं, यह तो पूरी ग़ज़ल है.
    क्या बात है तो इस कला में भी माहिर हैं आप.

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  9. आनन्द आ गया...पढ़ने का भी और सुनने का भी.

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