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23 अगस्त 2011

डॉ.अमर कुमार ,जो अब अमर हो गए !




जिन्होंने हमसे वादा किया था कि आठ-दस दिन में अपनी बीमारी से पार पाकर फिर से ब्लॉग-जगत में हम सबसे मुखातिब होंगे,सक्रिय होंगे पर वह अपना वादा पूरा नहीं कर पाए.अपने को टाइम-खोटीकार कहने वाले,हर दिल अज़ीज़,हिंदी के मशहूर तंजकार और तकनीकी रूप से विशुद्ध ब्लॉगर डॉ.अमर कुमार हमारे बीच में अब भौतिक रूप से नहीं रहे.वे अपने लेखों से तो हमें प्रभावित करते ही थे,उनकी टीपों का हर ब्लॉगर को बेकरारी से इन्तज़ार रहता था!

अभी थोड़ी देर पहले भाई अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने फोन करके इस दुखद घटना की जानकारी दी .मैं बिलकुल सन्न और हतप्रभ रह गया.अभी पिछली बारह अगस्त को पहली बार उनसे भेंट हुई थी.उनसे मिलने के बाद हमने उनसे यह कहा था कि मैं उन पर एक पोस्ट लिखूँगा,वापस आने के बाद कुछ लिखा भी पर न जाने कैसे-कैसे व्यवधान आते गए और आज देखो उस कहानी का उपसंहार लिख रहा हूँ जिसकी प्रस्तावना, कथानक कुछ भी न लिख पाया था!

बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए,जबसे मैं डॉ. साहब से परिचित हुआ ! कोई छः महीने हुए होंगे जब वो अचानक मेरे ब्लॉग पर आये और उनकी टीप पढकर मैं उनके ब्लॉग पर पहुँचा ! उनका लेखन तो अच्छा लगा ही ,रायबरेली के हैं, यह जानकर मेरी जिज्ञासा उनके बारे में और बढ़ी और मैंने उनको अपना नंबर देकर संपर्क करने की गुजारिश की .दो-तीन दिन बाद ही उनका फोन आया,उन्होंने बड़ी आत्मीयता से बात की और हमने भी वादा किया कि जब अगली बार रायबरेली आयेंगे तो उनसे ज़रूर मिलेंगे !

मैं इसी जुलाई को उनसे बात करके भी मुलाकात न कर सका,साथ में प्रवीण त्रिवेदी को भी जाना था पर उसी दिन फतेहपुर में कालका मेल दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से हम लोग नहीं जा सके.डॉ. साहब कह रहे थे कि उन्हें दो पंडितों को भोजन कराने का पुण्य मिलेगा पर शायद यह पुण्यलाभ हम दोनों को नसीब नहीं था.मैं उसी दिन दिल्ली लौट आया !

जब इस रक्षाबंधन में गाँव गया तो रायबरेली जाना सुनिश्चित कर रखा था.साथ में डॉ.अरविन्द मिश्र की भी हिदायत थी कि वहाँ जा रहे हो तो डॉ.अमर कुमार से मिलते आना,काफी दिनों से उनकी खोज-खबर नहीं मिली है!अमरेन्द्र भाई,प्रवीण जी और अनूप शुक्ल (फुरसतिया) की भी यही इच्छा थी.रायबरेली शहर मेरा जनपद है जो मेरे गाँव से पचास किमी दूर है.इसलिए वहाँ ज्यादा जाना नहीं हो पाता!.


बहरहाल,मैं बारह अगस्त की शाम को फोन पर बात करके डॉ.साहब के घर पहुँचा और थोड़ी देर में मैं उनके सामने खड़ा था.मन में जो जोश-खरोश था वह गायब था.डॉ.साहब बिस्तर पर बिलकुल सीधे लेटे हुए थे,मुझे देखते ही उनके मुँह से निकला,हम आप से मिल चुके हैं ,पर मैंने तुरत कहा कि 'नहीं ,यह हमारी पहली मुलाकात है !" काश ! यह आखिरी न होती !

हम वहाँ करीब पैंतालीस मिनट रहे.डॉ, साहब की शारीरिक दशा ऐसी नहीं थी कि उनसे ज्यादा बात की जाए,पर उन्होंने इतने कम समय में भी हमें अपने सम्मोहन में ले लिया था.वह बहुत कम बोल पा रहे थे,हमारी ज्यादा सुन रहे थे.मैंने ब्लॉगिंग के बारे में,ब्लॉगर मित्रों के विषय में उनसे बात की और उन्होंने पूरी तन्मयता से सुना.अरविन्द मिश्रजी,अनूप शुक्ल जी,प्रवीण त्रिवेदी,ज्ञानदत्तजी के बारे में उन्होंने बड़ी रूचि और आदर प्रकट किया.समीर लाल जी (उड़नतश्तरी) के भी एक बार वहाँ आने का जिक्र किया था!

जिस बिस्तर पर वे लेटे थे ,सामने कंप्यूटर रखा और हिंदी के पुराने गाने बज रहे थे. उन्होंने बताया कि वायस ऑफ अमेरिका से लगातार गाने आते रहते हैं,वही स्टेशन लगा लेते हैं!इसी बीच अपने मोबाइल पर आया हुआ एक चुटकुला भी उन्होंने हमें पढवाया !

उनको सबसे ज़्यादा तकलीफ़ बोलने को लेकर थी .उठ कर बैठना बहुत कठिन था.जब बातों-बातों में मैंने यह कहा कि मैं उन पर एक पोस्ट लिखना चाहता हूँ और इसके लिए एक तस्वीर चाहिए.अस्वस्थता के बावजूद उन्होंने मेरा मन रखने के लिए अपना चित्र लेने दिया!उन्होंने दो-तीन बार अपनी उस हालत पर विवशता प्रकट की और कहा कि वह इस दशा में उनसे मिल रहे हैं.मैंने अपनी ओर से भरपूर ढाढस दिया कि वे बिलकुल चिंतित न हों ,जल्दी ही हमारे बीच होंगे!वे बीमार ज़रूर थे पर जीवन के प्रति निराश नहीं !


चलने का समय आया तो मैं कह नहीं पा रहा था,वे भरी और गहरी निगाह से मुझे देख रहे थे.मैंने हाथ बढ़ाया तो उन्होंने मेरे हाथ को अपने माथे से लगा लिया! सच में,यह मेरी जिंदगी का सबसे भावुक क्षण था !मैंने भी उनके हाथ को अपने माथे पर लगाकर कहा कि बस,आप हमें आशीर्वाद दें,हमारा मार्गदर्शन करें,हम आपको जल्द सक्रिय रूप में देखना चाहते हैं.उन्होंने चलते-चलते मुझसे आठ-दस दिन का समय माँगा था,जो अब कभी नहीं आएगा.उनके कमरे से निकलकर मुझमें पीछे मुड़ने की शक्ति नहीं थी,पर उनकी आवाज़ सुनाई दी,रूबी,(डॉ.साहब की धर्मपत्नी) देखो,इन्हें छोड़ दो

मैं उनसे मिलकर बाहर आने के बाद समझ नहीं पा रहा था कि इस मुलाकात पर खुश होऊँ या डॉ. साहब की हालत पर दुखी!मेरे मन में जहाँ उनसे मिलने का संतोष था,वहीँ उनकी ऐसी दशा पर शोक !

दिल्ली आने पर एक दिन कुछ लिखने की कोशिश की,आगे नहीं बढ़ पाया.कहाँ से शुरू करूँ,कहाँ खत्म,पर डॉ.साहब ने हमारी दुविधा को शायद भाँप लिया था और उन्होंने इस पोस्ट को पोस्ट(बाद) की सार्थकता दे दी .हमें उनसे बहुत कुछ सीखना,जानना था,पर वह हम सबके साथ खोट कर गए.वास्तव में वे पक्के दगाबाज़ निकले.अपने दोस्तों को इस अंतरजाल’,कंप्यूटर और की-बोर्ड की दुनिया में खटर-पटर करने को अकेला छोड़ गए !

उनसे मिलकर आने के तुरत बाद उनकी दशा पर दिमाग में ये लाइनें अचानक आईं थीं :

जिंदगी मुझसे मिली कुछ इस तरह,
वह बोलती,कहती रही,सुनता रहा मैं

उस महान पुण्यात्मा को शत-शत नमन !


51 टिप्‍पणियां:

  1. आपके संस्मरण ने शोक संतप्त कर दिया है.
    भगवान डॉक्टर साहिब की आत्मा को शान्ति प्रदान करे.
    मेरी उनको विनम्र श्रद्धांजलि.

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  2. डॉक्टर अमर कुमार जी की आत्मा को परमपिता शांति प्रदान करें व् उनके परिवारीजन को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें ऐसी ही प्रभु से कामना है .

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  3. अत्यंत दु:खद ! विनम्र श्रद्धांजलि !

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  4. डॉ अमर कुमार के एकाएक गोलोकवास का समाचार सुनकर झटका लगा। उनके चले जाने से ब्लॉगजगत की अपुरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनके परिजनों एवं मित्रो को दारुण दुख सहने की शक्ति दे एवं पुण्यात्मा को अपनी शरण में लेवे। उन्हे मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।

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  5. डा.अमर कुमार अचानक चले जाना स्तब्धकारी है। वे अद्भुत जिजीविषा के धनी थे। लेकिन अफ़सोस वे हमारे साथ अब नहीं हैं।

    डा.साहब को विनम्र श्रद्धांजलि। उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनायें।

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  6. उनका इस तरह से हमारे बीच से चले जाना ....हमें क्षति पहुंचा गया ....मन आज बहुत खिन्न है ..लेकिन विधाता के साथ क्या किया जा सकता है ....यह सब उसका है ..जब चाहे हमें अपने पास बुला ले ....!

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  7. एक निडर साहसी इंसान की अचानक मृत्यु! सुन झटका लगा।

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  8. मुझे उनकी बैसवारी बोली खूब भाती थी. मैं भी उन्नाव में पाली-बड़ी हूँ, इसलिए उनसे अलग सा लगाव था. मेरा बहुत मन था उनसे एक बार मिलने का. आपको उनसे मिलने का सौभाग्य तो मिला, मुझे वो भी नहीं मिल पाया. वो ब्लॉगजगत में अपनी हरी-भरी टिप्पणियों के लिए अलग से जाने जाते थे.
    उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि!

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  9. डॉअमर से आपकी मुलाकात ने बेहद भावुक कर दिया..यकीन नहीं होता कि वे चले गए...स्तब्ध हूँ ...उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि..

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  10. ओह ! दुखद. अत्यंत दुखद.
    ...एक समय मैंने अपने जीवन के दो साल रायबरेली से 28 किलोमीटर दूर एक गांव ऊंचाहार में बिताए थे, उस दौरान रायबरेली आना जाना आम था इसलिए मुझे डाक्टर साहब से अवर्णित अपनापन सा लगता था, हालांकि ये भी अजब संयोग है कि मेरी उनसे कभी बातचीन तक नहीं हुई... यह एक अजीब सी ही बात है कि आप किसी से बात नहीं करते पर फिर भी उसे अपनों की ही तरह जानते हैं.

    उनके लेखन में कुछ तो बात थी कि मैं आमतौर से किसी ब्लाग पोस्ट के बजाय कहीं अधिक ध्यान से उस ब्लाग पर डाक्टर साहब की प्रतिक्रिया पढ़ा करता था. उनकी अपनी एक विशिष्ट शैली ही नहीं थी उनका शब्द चयन भी कहीं बीहड़ था, प्रकृति सा ही ... जो क़रीने से नहीं होने में ही अपना महत्व दर्शाता है. डाक्टर साहब का इटैलिक्स में टिप्पणी करना अलग से ही दिखाई देता था....

    विनम्र नमन. प्रभु सब ओर शांति प्रदान करे.

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  11. क्या कहूं ? स्तब्ध हूँ और मर्माहत भी!उनसे जब आप मिल कर आये तो मैं उनके कुशल क्षेम के बारे में आपकी पोस्ट के माध्यम से जानने को व्यग्र था ..जब यह कुछ दिनों तक भी नहीं ई तो मैंने आपको फोन किया ..मुझे कुछ अशुभ सा आभास हुआ था और आप पर गुस्सा आ रही थी कि अभी तक क्यों नहीं उनका हाल बयां किया था आपने ...उस दिन आपसे बात की तो मगर बार बार जुबान तक आ रही इस बात को हठात रोकता रहा था कि कुशल क्षेम की पोस्ट कहीं शोक -श्रद्धांजलि में न बदल जाय ! दुर्भाग्य से यही हुआ भी --बहरहाल होनी को कौन टाल सकता है? डॉ साहब जैसा आपने कहा अब अपनी यशः काया में अमर हो गए हैं !
    उन्हें श्रद्धा सुमन और परिवार को यह दुःख सहने की ईश्वर से प्रार्थना!

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  12. शब्द नही है मेरे पास! मै हिन्दी ब्लागजगत डा अमर कुमार के जाने से एक रिक्तता उत्पन्न हो गयी है।

    स्तब्ध हूँ! उन्हें विनम्र श्रद्धाजंलि!

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  13. हिन्दी ब्लॉग जगत में अलग पहचान कैसे बना के रखी जा सकती है यह .....डा. साहब से सीखा जा सकता है .....पोस्ट्स से ज्यादा अपनी मारक टीपों के लिए ख्याति प्राप्त डा. अमर कुमार हमारे बीच नहीं हैं.....सहसा विश्वास नहीं होता है ......वर्चुअल दुनिया में असल दुनिया की सच्चाइयाँ एक भय पैदा करती हैं .....वही भय हम सब के मन में है!

    आप किस्मत के धनी रहे ......जो आप उनसे मिल पाए.....!
    मोडरेशन को लेकर ई-मेल पर और कमेंट्स पर उनकी चुटकियाँ.....हमेशा अब याद ही रहेंगी|


    .....उन्ही की अदा में यह टीप हमारी श्रृद्धांजलि के साथ ...भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे ...और पारिवारिक जनों को संबल !

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  14. हतप्रभ हूँ! विनम्र श्रद्धांजलि!

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  15. हतप्रभ हूँ ...
    ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और परिजनों को दुःख सहन करने की शक्ति दे !
    विनम्र श्रद्धांजलि!

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  16. श्रद्धा सुमन और परिवार को यह दुःख सहने की ईश्वर से प्रार्थना!

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  17. व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए बेहद कष्टदायक खबर !

    कल जब पता चला तब आँखों में आंसू छलक उठे थे इस ईमानदार और बेहद विद्वान् ब्लोगर के लिए, जिनसे मैं कभी नहीं मिल पाया !

    दादा अमर समय से पहले, बहुत जल्दी चले गए , उनके बारे में कुछ पहले भी लिखा था जो उनके चरणों में समर्पित कर रहा हूँ !

    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/08/blog-post_30.html
    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/12/blog-post_22.html

    वे बहुत अच्छे थे....

    लगता है कोई अपना हमें छोड़ कर चला गया है, मगर वे हिंदी ब्लॉग जगत में अपने निशान छोड़ गए हैं जो अमर रहेंगे !

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  18. @ प्रवीण त्रिवेदी हम स्वयं नहीं समझ पा रहे हैं कि यह मेरे दुर्भाग्य के अलावा भी कुछ हो सकता है क्या? मैं बिलकुल आखिरी समय में उनसे जुड़ पाया.वास्तव में वह सही मायने में एक जिंदादिल और इंसानी ब्लॉगर थे !

    @डॉ.अरविन्द मिश्र आपका अपराधी हूँ, वहाँ से आने के बाद मैंने लिखना शुरू किया था,पर कलम,दिमाग और ब्रॉडबैंड किसी ने मेरा साथ नहीं दिया.मुझे सूझ नहीं रहा था कि कैसे शुरुआत करूँ ?कल जब यह खबर मिली तो मैं अपने बेटे का जन्मदिन मना रहा था,आपसे बात करके मैं बस उनको याद यह पोस्ट लिखने बैठ गया.सारी पोस्ट ऑफलाइन में ही लिखनी पड़ी,शुक्र था कि बाद में ब्रॉडबैंड थोडा ठीक हो गया पर बाकी सब कुछ बिगड गया.हम सबको ‘निठल्ला’ छोड़ गए वो! !

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  19. ओह ! विश्वास नहीं कर पा रहा .आपने सही कहा .वे दगाबाज निकले .मुझसे भी फिर मिलने का वादा कर ,अब जानता हूँ कभी नहीं मिलेंगे .ब्लॉग जगत ज्वाइन करने के बाद उनके लेखन,व्यंग , खास कर शहीदों से सम्बंधित उनके दस्तावेज लिखे गए थे जो उनसे बड़ा प्रभावित रहा .पत्राचार , फिर फ़ोन से संपर्क हुआ .२०१० जनवरी के करीब .मिलने की इक्षा दोनों की बलवती .माँ बीमार थीं मेरी इस लिए लम्बे वक्त से भारत में ही था मुंबई ले आया था उन्हें गाँव ( प्रतापगढ़ ) से .लेकिन जान गया था की उनकी ९१ वर्ष की उम्र में लीवर कैंसर से बचना संभव नहीं था .फिर गाँव ले आया और ये जानकर की उनकी जिन्दगी के कुछ महीने ही रह गए हैं ,उनके साथ गाँव में ही गुजरना था आखिर तक .डा. साहब से संपर्क बना हुआ था .प्रतापगढ़ से रायबरेली दिन में ही जा शाम तक लौटा जा सकता था ,पर जाना न हो पाया .४ जून को माँ ने आख़री साँस ली .डा. साहब को बताया .उन्होंने कहा की १३ को श्राद्ध में पहुंचेंगे .लेकिन वे निकले भी आने के लिए पर रश्ते में आंधी बवंडर के चलते वापस मुड़ना पड़ा . बहरहाल सब क्रिया विधि समाप्त कर २४ को सड़क मार्ग से लखनऊ जा वहां से मुंबई जाना था .रस्ते में रायबरेली .हमने तय किया की जल्दी निकलूंगा और दोपहर में उनके साथ लंच कर फिर आगे लखनऊ .वैसा ही किया .उस मुलाकात के आनंद को भुलाना मुश्किल है .गर्मी के दिन थे और कार में बीयर की काफी बोतलें चिल्ल्ड पडी थीं .हलके से उन्हें पूछा .ठहाका लगा कर उन्होंने भाभीजी से कहा " रूबी लंच की जल्दी मत करना हम दोनों देर तक ' भालू ' नचाने जा रहे हैं .कई घंटे जो उनके साथ जो गुजारे और उनके जीवंत व्यक्तित्व का जो रूप पाया वह कभी भुला न पाउँगा .ब्लोगिंग ,ब्लॉग जगत के बारे में और व्यक्तित्वों पर भी खूब बात हुयी और गंभीर से लेकर चुहलबाजी तक सभी चलता रहा . और एकाध घंटे और रुकना था पर दुर्भाग्य , फोन आया की चाचाजी गुजर गए हैं .जल्दी से फिर वापस प्रतापगढ़ . उनसे फिर मुलाकात का वादा अब कभी पूरा न हो पायेगा .आपने ठीक लिखा प्रवीण जी ......................बड़े दगाबाज निकले डा. अमर कुमार ! यादों और लेखन के सिवा और कुछ नहीं छोड़ा हमारे लिए .लेकिन जानता हूँ वे जहां भी होंगे महफ़िल गुलजार कर रहे होंगे . नमन डा. ' अमर ' कुमार !

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  20. मन बेहद उदास है। डॉ अमर को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  21. बिल्‍कुल सत्‍य कह रहे हैं आप
    डॉ. अमर कुमार हो गए हैं अमर
    क्‍या इसे समझें कि
    हिंदी ब्‍लॉगिंग की टूटने लगी है कमर।

    नुक्‍कड़ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि।

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  22. बहुत अच्छे इंसान को खो देना बहुत दुखदायी है।

    कैसे-कैसे लोग रुख़सत कारवां से हो गये
    कुछ फ़रिश्ते चल रहे थे जैसे इंसानों के साथ।

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  23. डॉ. अमर को बहुत नहीं जनता लेकिन कुछ ब्लोगों पर उनकी टिप्पणी जरुर पढी है... वाकई एक अपूर्णीय क्षति है उनका जाना... विनम्र श्रधांजलि

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  24. इस अज़ीम शख्सीयत को सामने देखकर आज खुदा भी हैरान होगा कि इसके आराम के लिए जन्नत से भी ऊंचा स्थान कहां से लाऊं...पिछले साल पांच नवंबर को दीवाली वाले दिन पापा को खोया और अब डॉक्टर साहब को...कैंसर जैसी नामुराद बीमारी से भी लड़ते हुए एक सेकंड के लिए अपनी ज़िंदादिली नहीं खोने वाले इस शख्स का साथ पाकर खुदा भी अब अपनी किस्मत पर इतराएगा....राजेश खन्ना की फिल्म आनंद की आखिरी पंक्ति याद आ रही है...

    आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं...

    इसे अब बदल देना चाहिए...

    अमर मरे नहीं, अमर कभी मरते नहीं...

    जय हिंद...

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  25. मुझसे वादा किया था उन्होंने
    सितंबर के दूसरे हफ़्ते में भिलाई आ कर मिलने का

    अब तो केवल यादें हैं एक स्नेही शुभचिंतक की

    डॉ सा'ब को विनम्र श्रद्धांजलि

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  26. ओह ..........................
    बहुत ही दुखद व हृदय विदारक!!!
    ईश्वर उनके परिवार को इस असीम दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे, उनकी आत्मा को शान्ति दे.
    विनम्र श्रद्धांजलि.

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  27. अत्यंत दुखद समाचार है. ब्लॉग जगत को एक बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है... खुदा उनके परिजनों और मित्रों को इस मुश्किल घडी से निपटने की ताकत दे...



    'अमर' वाकई अमर हैं, हमारे दिलों में, अपने ब्लॉग पर, अनेकों लेखों पर अपनी सशक्त टिप्पणियों के माध्यम से...

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  28. ये दुखद समाचार सुनकर मन खिन्न हो गया है ....भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें

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  29. डॉ अमर के कई वायदे रह गए . लेकिन यह तय है की वे हमारे दिल में हमेशा रहेंगे . कभी प्रत्यक्ष में मिलना नहीं हुआ लेकिन एक प्रगाढ़ रिश्ता कायम कर गए .
    कल शाम से ही मन बेचैन था पता लगने के बाद . आपसे बात नहीं हुई . क्या करें विश्वास ही नहीं हो रहा .

    विनम्र श्रधांजलि .

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  30. सब स्वीकारना सहज नहीं होता, जो सहज सा लगता है वह भी, और इसे कैसे स्वीकारा जाय, जिसमें सिर्फ सन्नाटा ही सन्नाटा बच रहा हो!

    कई बार के कई संदर्भ जैसे याद आ रहे हैं, ब्लोगिंग के ही, जहाँ डाक्‌ साहिब की ऊर्जावान उपस्थिति का निकट का साक्षी रहा हूँ, ये सारे क्षण एलबम की समृद्धि से हैं और अब तो कचोट के साथ हो गये हैं थोड़ा!

    अपने यशः काय में अमर जी अमर हो गये हैं!

    ईश्वर से प्रार्थना है कि वह अमर जी की आत्मा को शान्ति दे, और इस घड़ी में उनके परिवार जनों को संबल..!

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  31. डॉ.अमर कुमार जी को विनम्र श्रद्धांजलि !

    दिवंगत आत्मा को परमात्मा शांति और उनके परिवार जनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें !

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  32. बहुत दुखद .. मेरी विनम्र श्रद्धांजलि !!

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  33. भगवान डॉक्टर साहिब की आत्मा को शान्ति प्रदान करे.
    मेरी उनको विनम्र श्रद्धांजलि.

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  34. ''जमाना बडे गौर से सुन रहा था, तुम्‍हीं सो गये दास्‍तां कहते-कहते।'' ऐसे श्रेष्‍ठ ब्‍लॉगर को हमारी ओर से भी श्रद्धांजलि।

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  35. मुझ अकीन्चन की श्रद्धांजलि उन्हें ....

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  36. बहुत दुःख हुआ ...विनम्र श्रद्धांजलि....

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  37. @संतोष त्रिवेदी
    ...इतनी जल्दी डा. अमर से मिलने का मौक़ा हमेशा के लिए चूक जाएगा .....इसकी उम्मीद ना थी|


    @राज सिंह
    .....आप मिल सके ...उनके साथ इतना समय गुजार पाए .....आपके लिए यह अमूल्य निधि ही होगी|

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  38. main ye aartikal kl hii pdh chuki thi babu! dr sahb mere blog pr aaye the.wahan word verification dekh kr narajgi jtai .maine unhe mail kiya -'sir! mujhe ye sb krna nhi aata hai anyathaa main logon ke vicharo ki kdr krti hun.gaali bhi de ti as it is chhap deti hun' ......fir wo aate rhe.
    ve mr skte hain?unke jaise log to mere jaiso ke dil me hmesha rhte hain.
    aisiich...bilul aisich hun main jaisa likha hai .

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  39. @राज सिंह आप खुशकिस्मत रहे जो डॉ.साहब के साथ इतने पल बिता सके.उनका मेरा साथ ज्यादा लम्बा नहीं था,पर इतने कम समय में ही उन्होंने मुझे अपना मुरीद बना लिया था...!

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  40. कोई शब्द नहीं...ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे. विनम्र श्रृद्धांजलि!!

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  41. डा.साहब के जाने से एक शून्य उत्पन्न हो गया है जो कभी भरा नहीं जा सकेगा...
    विनम्र श्रद्धांजलि

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  42. उफ़्फ़्‌...। मैं पिछले तीन-चार दिनों से नेट से प्रायः दूर रहा। आज सुबह-सुबह यह जानकर हतप्रभ हूँ। डॉ. साहब से मेरी मेल पर कई बार बात हुई। आमने सामने मिलने की इच्छा मन में ही रह गयी।

    डा.साहब को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदनायें

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  43. डा. अमर कुमार को भावुक श्रद्धांजलि.

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  44. गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा,संतोष भाई.

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  45. डा.साहब को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।

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  46. आदरणीय अमर जी को हमारे बीच से गए एक साल होने को आ रहा हैं ...

    समय कितनी तेज़ी से गुज़र जाता है .

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