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25 जून 2011

बहुत दिनों के बाद !

बहुत दिनों के बाद
सुनी मैंने दिल की आवाज़
एक बेचैनी सी कैसी
बज रहे अन्दर वाले साज !

बहुत दिनों के बाद
अघाकर सुना सुगम संगीत
लगा कोई है मेरा भी
इक प्यारा-सा मनमीत !

बहुत दिनों के बाद
डर रहा मैं सपनों से
विश्वास नहीं होता
दूर होता हूँ अपनों से !


बहुत दिनों के बाद
मिले हैं जीवन के कुछ अर्थ
जी रहा था जो अब तक
क्या गवाँ दिया यूँ व्यर्थ ?

बहुत दिनों के बाद
लगा अब भी है कुछ शेष
मेरे आगामी जीवन में
आयेंगे प्यारे सन्देश !


विशेष: बाबा नागार्जुन से माफ़ी सहित ! उनकी कविता,'बहुत दिनों के बाद ' से प्रेरित !

21 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी कवितायें बहुत प्रभावित कर रही हैं, निश्चय ही प्यारे संदेश आने शेष हैं।

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  2. बहुत दिनों बाद पाई इस निधि को सजोये रहें, ताकि हरदिन साजो-संगीत में बितायें!!

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  3. बहुत दिनों बाद हम भी आ पाए आपके दरबार में !
    :-)


    जिंदगी में बहुत दिनों बाद का भी अपना एक अच्छा खासा हिस्सा होता है!.......नहीं ???

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  4. बहुत दिनों से नहीं सूनी है आवाज
    बाबा रामदेव पर जब से गिरी गाज
    .......हा हा हा

    पर आपकी आवाज अच्छी है और आपने भी सुनी और मैंने भी पढ़ी . मजा आया.

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  5. एक बहुत अच्छी कविता पढ़वाने के लिए आभार।

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  6. कवितायें बहुत प्रभावित कर रही हैं। बढ़िया लिखा है। बहुत दिनों बाद हम भी आ पाए आपके दरबार में !

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  7. .
    बहुत दिनों के बाद
    लगा अब भी है कुछ शेष
    एक सोद्देश्य और सकारात्मक सार्थक रचना प्रस्तुत करने के लिये अभार !

    लगता है, अभी थैली का मुँह ही खुला है... पूरी थैली तो अभी पलटी ही नहीं !

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  8. आप काफी अच्छा लिखते हैं....सुन्दर कविता.

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  9. बहुत दिनों के बाद
    लगा अब भी है कुछ शेष
    मेरे आगामी जीवन में
    आयेंगे प्यारे सन्देश !

    सुखद और प्यारे संदेश आते रहें।
    शुभकामनाएं।

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  10. इसी लिए कहते है समय के साथ - साथ उचित ! फिर बहुत दिनों के बाद क्यों ? अतिसुन्दर

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  11. प्रेरित होकर भी मौलिकता बरकरार है।

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  12. बहुत दिनों बाद ...क्यो जी । इत्ते दिनों की एबसैंटी ठीक नय है ..फ़र्लो मारते हैं क्या हो । बहुत ही कमाल रचा है आपने , प्रेरणा सही ली है आपने

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  13. बहुत दिनों के बाद
    मिले हैं जीवन के कुछ अर्थ
    जी रहा था जो अब तक
    क्या गवाँ दिया यूँ व्यर्थ ?

    jeevan abhi aage bhi hai...
    kuchh yaaden purani kuchh nai bantee chalee jayegi.....

    khubsoorat rachna.......

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  14. बहुत बढ़िया गीत है, सर जी. निवेदन है कि इसी प्रकार छंदबद्ध कविताएं पोस्ट करें.

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  15. जल्द ही मेरा 'भरम' टूट भी गया...उस नाते यह शेर,

    वो आए एक खुशनुमा झोंके की तरह ,
    गए तो आँधियों की तरह,उजाड़कर मुझे

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  16. बाबा नागार्जुन से माफी काहे मांगते हैं, सर जी. आपकी यह कविता पढ़कर उन्हें भी बहुत ख़ुशी होती.

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  17. बहुत दिनों के बाद
    अघाकर सुना सुगम संगीत
    लगा कोई है मेरा भी
    इक प्यारा-सा मनमीत !

    आपकी रचना में बसी सरलता पसंद आई ! हार्दिक शुभकामनायें !!

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