पृष्ठ

30 अगस्त 2010

मैनुअल ज़िन्दगी बनाम ऑटो ज़िन्दगी !

अभी जल्दी हम गाँव गए थे , जहाँ मैंने अपने जीवन के शुरुआती पचीस वर्ष गुजारे हैं. अब करीब पंद्रह वर्षों से शहर की भी ज़िन्दगी 'झेल' चुका हूँ,तो मुझे तब और अब में फ़र्क साफ़ नज़र आता है.

गाँव की ज़िन्दगी खुले आकाश की तरह होती है, जहाँ हम अपने सभी काम तरीक़े व सलीके से करते हैं. यार-दोस्तों से गप-शप होती है,पूजा-पाठ होता है और खेत-खलिहान भी देखे जाते हैं. वहाँ के हर काम में ख़ुद को तल्लीन होना पड़ता है और हिस्सेदारी होती है. खाना,घूमना,मनोरंजन ,शादी-ब्याह सब में हमें 'मैनुअली' लगना पड़ता है .इस तरह वास्तव में हम वहाँ ज़िन्दगी जीते हैं.

शहर की ओर अगर रुख़ करके देखें तो पाएंगे कि यहाँ सब कुछ मशीनों के ऊपर निर्भर है. घर में रहने,खाने,बाहर जाने,मनोरंजन व दोस्त बनाने में हम मशीनी हो गए हैं. जिस तरह किसी तकनीकी-वस्तु को चलाने के लिए उसमें 'मैनुअल' या 'ऑटो' का विकल्प होता है बिलकुल वैसे ही हमारे पास अपनी ज़िन्दगी जीने के दो विकल्प (गाँव या शहर) हैं,पर अफ़सोस,अब गांवों का भी शहरीकरण हो रहा है.

हम शहर में रहते हुए सोचते हैं कि यहाँ रहना थोड़े दिनों की बात है,पर वह थोड़े दिन धीरे-धीरे कब पूरी ज़िन्दगी गुजार देते हैं,यह पता ही नहीं चलता.

सच बताएं, शहर में आकर हम मात्र 'रोबोट' की तरह बनकर रह गए हैं, जिसके पास सिवा 'मालिक' की आज्ञानुसार चलना-फिरना रह गया है. हमारे हाथ में हमारी ही ज़िन्दगी नहीं रह गयी है, और हम अपने परिवार,शहर और देश का 'ठेका' लिए घूमते हैं.

आप भी बताएं कि आप कैसी ज़िन्दगी जी रहे हैं,मैनुअल या ऑटो ?

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपका कहना सही है। शहर की जिन्दगी जीते जीते ऑटो हो गये।

    जवाब देंहटाएं
  2. Hi,I recently came across your blog and I have enjoyed reading.Nice blog. I thought I would share my views which may help others.I turned 41 and i have Erectile Dysfunction problem. After reading that INVIGO can cure ED,tried it. I have seen the difference. Its giving very good results and is a permanent solution. I will keep visiting this blog very often.we can reach INVIGO at www.invigo.in.

    जवाब देंहटाएं
  3. बिल्कुल सही,
    कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
    अकेला या अकेली

    जवाब देंहटाएं