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28 दिसंबर 2009

शर्माजी हमें छोड़ गए !


उनकी उम्र लगभग ६८ साल थी और वे मुझसे तकरीबन २५ साल बड़े थे फिर भी हम दुःख ,सुख के साथी थे। प्रेम नाथ शर्माजी का इंतकाल कल २७ दिसंबर को हुआ,पर आज अचानक मुझे तब पता चला जब मैंने उनसे बात करने की कोशिश की,पर फ़ोन स्विच ऑफ था,तो मैं उनके घर की तरफ मुड़ लिया और यह दुखद समाचार मिला।
मेरा उनका साथ ,क़रीब चार साल तक एक साथ काम करने के दौरान हुआ था,जो लगातार अब तक ज़ारी रहा। वे मिश्रित स्वभाव के व्यक्ति थे। कभी बिलकुल बिंदास और मजाकिया मूड में होते तो कभी मेरी बातों से तंग आ जाते। पुराना संगीत,मेहंदी हसन ,मुकेश,रफ़ी,पाकीज़ा,रज़िया सुल्तान और दिलीप कुमार उनके 'फेवरेट' थे। उर्दू और अंग्रेजी के अच्छे जानकार और साहित्य में गहरी रूचि वाले व्यक्ति थे।
हमारे साथ उनका अत्यंत निकट का प्रेम था। जब कभी वे घर या बाहर की परेशानियों में होते तो मुझसे बात करते या मेरे घर चले आते। उनसे मैं खुलकर बातें करता था और साथ में बैठकर 'कटिंग' की चाय भी पीता था।
उनके जाने पर उनके न होने का अहसास ज़्यादा हो रहा है। अब कौन मेरी फालतू की बकवास सुनेगा ,मुझे डाटेगा,दुलारेगा और साहित्यिक ज्ञान देगा ?
शर्माजी !तुमने यह ठीक नहीं किया। अपने साथी के बिना क्या करोगे ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. अपने साथी का इस तरह अचानक जाना ....एक दुखद एहसास होता है ......क्या करें यह जीवन ऐसा ही है भइये !!
    हमारी संवेदनाएं!!

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