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22 नवंबर 2009

सिर्फ़ तुम्हारे लिए !


जब भी देखता हूँ , कोई साँवली सी सूरत,
तुम्हारा ही अक्स  उसमें नज़र आता है।


जब भी सामना होता है तुमसे मेरा ,
नज़रें झुकाके मुझको, दिल में छुपा लेती हो ?


जब भी लेता है कोई तुम्हारा नाम,
दिल मेरा चुपचाप तस्दीक करता है !


मुझे डूबने दो इन झील-सी आँखों में,
बाहरी दुनिया से मैं ऊब चुका हूँ !

दूलापुर, राय बरेली , ०५-०४-१९८८

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