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5 मार्च 2009

जय हो! जय हो!

काफ़ी दिनों बाद कांग्रेस के लिए एक ख़बर खुशी की आई है।'स्लम डॉग मिलियनेयर ' फ़िल्म हिट क्या हुई उसके बनाने वाले,उसमें काम करने वाले मालामाल तो हुए ही उसे देखने और उसका संगीत सुनने वाले भी मालामाल होने की राह पर हैं! फ़िल्म को आठ ऑस्कर पुरस्कार तो मिले ही ,रहमान,गुलज़ार,रसूल भी ने अपना झंडा खूब गाड़ा है। अब उन सबकी कामयाबी से प्रेरित होकर कांग्रेस पार्टी ने 'जय हो' के गाने के अधिकार खरीद लिए हैं। इस से उसे लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जय पाने का अधिकार भी जनता से मिल गया है।
फ़िल्म अच्छी है,(चूंकि यह साबित हो चुका है) संगीत अच्छा है तो क्या उसे आधार बनाकर देश के युवाओं को सम्मोहित किया जा सकता है? जैसा कि बताया जाता है कि राहुल गाँधी के 'टारगेट' युवा हैं तो पार्टी ने ऐसे मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए एक 'मद-मस्त ' धुन का चुनाव किया है, जिसके ख़ुमार में देश का युवा बेसुध और मस्त हो जाय और उसे अपने रोज़गार और शिक्षा जैसे सवाल फ़ालतू लगें !
उम्मीद ही की जा सकती है कि इन चुनावों में जय पाने के बाद कांग्रेस पार्टी जनता की भी जय का अभियान चलाएगी और यह कि केवल अपनी जीत पाने भर के लिए उसने ग़रीबी को एक बिकाऊ 'आइटम' नहीं बनाया है।

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