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25 जुलाई 2007

मुज़रिम

छुप छुप के तुम्हें देखना यदि ,वाकई  ज़ुर्म  है ,
तो ये गुनाह  हमने कई बार किया है !

3 टिप्‍पणियां:

  1. यह देखिये गूगल प्लस पर चर्चा....

    अली सैयद8:59 AM
    ऐसे देखना गुनाह तो है :)

    संतोष त्रिवेदी9:03 AM
    पर ये गुनाह बुढ़ापे में ज़्यादा होता है :-)

    अली सैयद9:04 AM
    बुढ़ापे में आदमी जल्दी से छुप नहीं पाता ना इसलिए चांस कम है :)

    संतोष त्रिवेदी9:10 AM
    तभी तो हम जल्द बूढ़ा होना चाहते हैं :-)

    अली सैयद9:13 AM
    बुढ़ापे में खुलकर देखने वालों पे कोई इलज़ाम नहीं होता :)

    संतोष त्रिवेदी9:16 AM
    इसीलिए इश्क इनको हराम नहीं होता:-)

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