tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post5303625661570082014..comments2023-10-20T18:30:34.424+05:30Comments on बैसवारी baiswari: लेखक बड़ा या ब्लॉगर ?संतोष त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-78564542199143661622012-01-15T10:24:15.431+05:302012-01-15T10:24:15.431+05:30लेखक होना यह भी है कि यदि आपके पास मोटी रकम है और ...लेखक होना यह भी है कि यदि आपके पास मोटी रकम है और पुस्तक छप गई तो लेखक और चाहे कितना भी डायरियों में लिखे हो,लिख लेते हो,अपने आप छपते या छपवाने की सामर्थ्य नहीं है तो भी इस बिरादरी में कैसे आयेंगे ?<br />ब्लॉगर लिखने से ज़्यादा रिश्ते और संवेदना के लिए जीते हैं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-62456130315054337182012-01-15T06:31:56.259+05:302012-01-15T06:31:56.259+05:30लिखना, छपना ही लेखक की पहचान नहीं वैसे ही ब्लाग प...लिखना, छपना ही लेखक की पहचान नहीं वैसे ही ब्लाग पर होना कइयों के मामले में तकनीकी सुविधा का लाभ-मात्र के कारण है.<br />ब्लाग-ब्लागर-ब्लागरी सुन कर तो कुछ ही नाम हैं, जो ध्यान आते हैं...Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-49998748123346322352012-01-12T21:41:54.242+05:302012-01-12T21:41:54.242+05:30कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना......छील कर रख दिय...कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना......छील कर रख दिया !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-64687204069892021062012-01-12T19:42:01.580+05:302012-01-12T19:42:01.580+05:30मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला गया है ... तोड़ मरोड़ क...मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला गया है ... तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया हैBS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-949925972722680492012-01-12T19:00:59.892+05:302012-01-12T19:00:59.892+05:30जे बात ज़्यादा सही रही....अपने मन का,बिंदास और आम ...जे बात ज़्यादा सही रही....अपने मन का,बिंदास और आम आदमी से थोड़ा ऊपर होता है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-19493321780347719662012-01-12T18:59:35.815+05:302012-01-12T18:59:35.815+05:30पेपर में छपने पर ब्लॉगर ,पत्र-लेखक वास्तव में लेखक...पेपर में छपने पर ब्लॉगर ,पत्र-लेखक वास्तव में लेखक नहीं होते. संवाददाता तो अलग प्राणी हैं,वे नियमित नौकर भी होते हैं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-8220099606692215202012-01-12T11:49:36.939+05:302012-01-12T11:49:36.939+05:30सीधी सी बात है भई
ब्लॉगर बे-लगाम होता है क्योंकि व...सीधी सी बात है भई<br />ब्लॉगर बे-लगाम होता है क्योंकि वह बेलाग लिखता-टिपियाता है :-)BS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-9710643728073407982012-01-12T11:46:14.971+05:302012-01-12T11:46:14.971+05:30पेपर में नाम छपा तो लेखक?
भई वाह!!!
पेपर में तो स...पेपर में नाम छपा तो लेखक?<br />भई वाह!!!<br /><br />पेपर में तो संवाददाता का नाम भी उसके लिखे के साथ छपता है तो……BS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-63754833637878242672011-12-17T22:34:15.111+05:302011-12-17T22:34:15.111+05:30@ ब्लॉग-लेखन आपसी संवाद का जरिया ज्यादा है
बहुत सह...@ ब्लॉग-लेखन आपसी संवाद का जरिया ज्यादा है<br />बहुत सही बात कही है आपने। हम भि इसे आपसी संवाद का ज़रिया मानते रहे हैं, और लोगों से सम्पर्क बढ़ाने और बनए रखने में यकीन रखते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-61796826981676448952011-12-16T17:02:07.339+05:302011-12-16T17:02:07.339+05:30ब्लॉग्गिंग जगत का सटीक विश्लेषण. निश्चित ही ब्लोगर...ब्लॉग्गिंग जगत का सटीक विश्लेषण. निश्चित ही ब्लोगर का मानवीय संवेदना-युक्त होना ज़्यादा आवश्यक है.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-49979510301073884222011-12-16T06:30:34.373+05:302011-12-16T06:30:34.373+05:30... और सम्वाद जारी रहना चाहिये।
:)... और सम्वाद जारी रहना चाहिये। <br />:)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-9367570792090521682011-12-16T06:29:57.348+05:302011-12-16T06:29:57.348+05:30... कुंजी तो संवाद ही है।... कुंजी तो संवाद ही है।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-57370661585764068762011-12-15T19:09:01.647+05:302011-12-15T19:09:01.647+05:30nayi jaankari mili...aabhar
welcome to my blog :)nayi jaankari mili...aabhar<br />welcome to my blog :)Monika Jainhttps://www.blogger.com/profile/18206634037142003083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-82683970556495838822011-12-15T09:02:25.290+05:302011-12-15T09:02:25.290+05:30@वाणी गीत जी चर्चा में अपने अनुभव और अपनी सम्मति ...@वाणी गीत जी चर्चा में अपने अनुभव और अपनी सम्मति प्रकटने हेतु आभार !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-25423041990350260222011-12-14T17:59:14.175+05:302011-12-14T17:59:14.175+05:30मैं वाणी गीत जी से सहमत हो लेता हूँ क्योकि इन दिनो...मैं वाणी गीत जी से सहमत हो लेता हूँ क्योकि इन दिनों वे टिप्पणियाँ लाजवाब कर रही हैं ....दरअसल ब्लॉगर की पहचान उसकी टिप्पणियों से ही होती है और उसके बियाबान में चले जाने की भी .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-75111577785354394442011-12-14T13:19:03.843+05:302011-12-14T13:19:03.843+05:30सामान्यतः स्वतःस्फूर्त बेतरतीब विचारों को लिख देना...सामान्यतः स्वतःस्फूर्त बेतरतीब विचारों को लिख देना ब्लॉगिंग है , पत्र पत्रिकाओं में लेखन के लिए अनिवार्य शर्तें होती हैं जैसे शब्द सीमा , समय की पाबन्दी ....ब्लॉगर्स टिप्पणियों के माध्यम से आत्मीय भाव (कभी- कभी दुश्मनी भी :) ) से जुड़े होते हैं , जबकि लेखकों के लेख पर पाठको की प्रतिक्रियाएं औपचारिक और लेखन तक ही सीमित होती है ! दोनों में बहुत फर्क है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-88639731789897019462011-12-14T05:55:11.634+05:302011-12-14T05:55:11.634+05:30अभिषेक ओझा से सहमत!अभिषेक ओझा से सहमत!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-42577345950421575762011-12-13T22:43:50.846+05:302011-12-13T22:43:50.846+05:30ब्लॉगर और लेखक के बीच का अंतर?
ब्लॉगर में स्वस्फू...ब्लॉगर और लेखक के बीच का अंतर?<br /><br />ब्लॉगर में स्वस्फूर्त लेखन है...भड़ास है ....अपना प्रत्युत्तर है तो दूसरों की खिंचाई भी ......इतना सब सीरियस लेखन में कहाँ ? जो आजादी इधर ......उधर यह सब कहाँ?प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-61950521017068362062011-12-13T22:35:36.649+05:302011-12-13T22:35:36.649+05:30इसका जवाब तो वही दे पायेगा जो लेखक भी हो और ब्लोगर...इसका जवाब तो वही दे पायेगा जो लेखक भी हो और ब्लोगर भी. हम तो अपने को दोनों में से कोई नहीं मानते :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-22282626800524185132011-12-13T16:02:37.962+05:302011-12-13T16:02:37.962+05:30अति सुन्दर |
शुभकामनाएं ||
dcgpthravikar.blogspot...अति सुन्दर |<br />शुभकामनाएं ||<br /><br />dcgpthravikar.blogspot.comरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-9672144930690627402011-12-13T13:46:52.318+05:302011-12-13T13:46:52.318+05:30ब्लोगिंग से शुरू कर लेखक हो जाना भी संभव लगता है....ब्लोगिंग से शुरू कर लेखक हो जाना भी संभव लगता है. आज के ई-ज़माने में.vidha-vividhahttps://www.blogger.com/profile/06853685274270024668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-77346197414852137322011-12-13T11:57:27.611+05:302011-12-13T11:57:27.611+05:30संतोष जी आपने बहुत बढ़िया लिखा है! अगर कोई अच्छा ल...संतोष जी आपने बहुत बढ़िया लिखा है! अगर कोई अच्छा लिखता है तो पढ़ने में अच्छा लगता है और नयी जानकारी भी मिलती है!<br />मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/<br />http://seawave-babli.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-59156209833958456722011-12-13T10:32:10.380+05:302011-12-13T10:32:10.380+05:30न कोई बड़ा न कोई छोटा - बस - जिसे जो करने से संतोष...न कोई बड़ा न कोई छोटा - बस - जिसे जो करने से संतोष मिले (लेखन / ब्लॉग्गिंग ) - उसके लिए वही बड़ा है |Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-7436066128140132542011-12-13T08:58:35.956+05:302011-12-13T08:58:35.956+05:30@ अनूप शुक्ल जी
हमने जिस सन्दर्भ में लेखक और पाठक...@ अनूप शुक्ल जी <br />हमने जिस सन्दर्भ में लेखक और पाठक का संवाद न होना बताया है,वहाँ तक आप नहीं पहुंचे. सामान्यतया किसी लेखक की कहानी,कविता,उपन्यास ,जीवनी आदि पुस्तकीय रूप में आती है तो संवाद का चैनल नहीं होता.<br />जिस अखबार में कहानी छपने की बात आपने बताई है उसमें हर लेखक,ब्लॉगर का साथ में फोन नंबर भी दिया होता है,फिर भी ब्लॉगिंग में जैसा 'इंटरैक्शन'होता है क्या,वैसा साहित्य में जमी हुई लेखकीय बिरादरी में संभव है ?<br /><br />आप बड़का ब्लॉगर हैं,इसलिए आपके कई पाठक केवल पढते हैं,कमेंटियाते नहीं,लेकिन सबके साथ तो ऐसा नहीं होता है ना !<br /><br />बकिया,यह मेरी मान्यताएं थीं,गलत भी हो सकती हैं.संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-39675663910314686952011-12-13T08:34:27.054+05:302011-12-13T08:34:27.054+05:30आपने लिखा -लेखक अपने पाठक से सीधे संवाद की स्थिति ...आपने लिखा -<b>लेखक अपने पाठक से सीधे संवाद की स्थिति में नहीं रह पाता</b><br />कल हमारे मित्र गोविन्द उपाध्याय की एक कहानी जनसंदेश टाइम्स में छपी। सुबह से उनके पास अनेकों फोन आये जिसमें लोगों ने उनसे कहानी के बारे में चर्चा की। फ़िर यह कैसे सही माना जाये कि लेखक पाठक से कटा रहता है।<br />आपने लिखा -<b>ब्लॉगिंग की सबसे बड़ी खूबी यह है कि आप इसके ज़रिये अपने पाठकों (जो स्वयं ब्लॉगर होते हैं) से सीधा जुड़े होते हैं</b><br />मेरे तमाम नियमित पाठक कभी मेरे ब्लॉग पर कमेंट नहीं करते। उनका कोई ब्लॉग भी नहीं है। फ़िर यह बात कैसे सही हुई कि पाठक ब्लॉगर ही होते हैं।<br /><br />जो लेखक ब्लॉगर भी हैं उनका कौन सा पक्ष बड़ा माना जायेगा लेखक का या ब्लॉगर का?अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com