tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post4673749804425421998..comments2023-10-20T18:30:34.424+05:30Comments on बैसवारी baiswari: बीबीसी की हिंदी सेवा !संतोष त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-35593903045962370982011-05-23T17:50:43.513+05:302011-05-23T17:50:43.513+05:30@ संतोष पाण्डेय सही कह रहे हैं आप ! बचपन में जो भी...@ संतोष पाण्डेय सही कह रहे हैं आप ! बचपन में जो भी उत्सुकता रहती थी उसे बीबीसी ने उम्मीद से ज़्यादा पूरी की !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-35135424406338610272011-02-04T21:03:09.040+05:302011-02-04T21:03:09.040+05:30@Patali-The-Village वाकई अफ़सोसनाक है !@Patali-The-Village वाकई अफ़सोसनाक है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-82005025082700810212011-02-04T07:42:05.211+05:302011-02-04T07:42:05.211+05:30बीबीसी की हिंदी सेवा के प्रसारण बंद होने की खबर चि...बीबीसी की हिंदी सेवा के प्रसारण बंद होने की खबर चिंताजनक है|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-92143978083091184572011-02-03T02:21:10.978+05:302011-02-03T02:21:10.978+05:30बीबीसी की हिंदी सेवा के प्रसारण बंद होने की खबर.
क...बीबीसी की हिंदी सेवा के प्रसारण बंद होने की खबर.<br />किशोरावस्था की जाने कितनी यादें. कडकडाती सर्दी वाली शाम. जलते अलाव के आसपास बैठे कई लोग. कान रेडियो पर. यह बीबीसी लन्दन है.विश्वसनीय ख़बरें.समाचार वाचको की खास शैली.गाव का एक लड़का बीबीसी लन्दन का ऐसा दीवाना था कि लोगों ने उसका नाम ही बीबीसी लन्दन रख दिया था.<br /> बीबीसी की हिंदी सेवा के प्रसारण बंद होने की खबर चिंताजनक है.<br />आपने सच ही लिखा कि ऐसी संस्था ,जो इतने व्यापक स्तर पर समाजसेवा जैसा कार्य कर रही हो,उसे धनाभाव के कारण दम तोड़ना पड़े,बताता है कि मानव ने दर-असल किस तरह की विकास-यात्रा की है!<br />कथित विकास में बहुत कुछ अच्छा और सच्चा पीछे छूटने लगा है.संतोष पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/06184746764857353641noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-56150808217475686472011-02-02T21:40:20.558+05:302011-02-02T21:40:20.558+05:30@प्रवीण त्रिवेदी आज के समय में ,जहाँ हम अपनी सरकार...@प्रवीण त्रिवेदी आज के समय में ,जहाँ हम अपनी सरकारों के किये-धरे पर केवल "मौन-प्रार्थनाएं" कर रहे हैं,वहीँ विदेशी प्रतिष्ठान से उम्मीद बेमानी ही है.<br />मेरी चिंता केवल इत्ती-भर है कि ऐसी किसी भी संस्था का छीजन समाज के लिए हानिकर है,जो सामाजिक सरोकारों से जुडी हुई हो !<br /><br />रही बात कुछ के बेरोजगार होने की, तो उन्हें काम तो कहीं न कहीं मिल जायेगा,पर वे उस 'जुनून' से वंचित रहेंगे,जिसे उन्होंने बीबीसी में रहते जिया है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-49577130709641194022011-02-02T21:27:28.642+05:302011-02-02T21:27:28.642+05:30महाराज करते रहिये मौन प्रार्थना ....और मन करें तो ...महाराज करते रहिये मौन प्रार्थना ....और मन करें तो थोड़ा चिल्ला भी सकते हैं !<br /><br />मुझे लगता है चिंतन यह होना चाहिए कि -<br />१- अब तक ऐसी कोई सरकारी या गैर सरकारी सेवा हम क्यों नहीं तैयार कर पाए ?<br /><br />२- कोई सेवा वह भी विदेशी क्यों कर आपके लिए हानि सहे वह भी आपके लिए ?<br /><br />३- खबर निष्पक्ष ही हो तो क्या ? वाद -विवाद कैसे ?<br /><br />हमको तो केवल यही अफ़सोस है कि विविधता का एक अध्याय अब ना रहेगा .....और कई सारे हिन्दी मीडिया कर्मिओं की रोजी रोटी चली जायेगी |<br /><br />...बस इससे ज्यादा कुछ नहीं !प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-64042795185968925852011-01-31T10:07:30.161+05:302011-01-31T10:07:30.161+05:30@प्रवीण पाण्डेय यह विडम्बना ही है कि हम अपने देश क...@प्रवीण पाण्डेय यह विडम्बना ही है कि हम अपने देश की राजनीति की सही नब्ज़ जानने के लिए दूसरे देश से संचालित प्रतिष्ठान पर निर्भर हैं !<br /><br />@मनोज कुमार अगर आप जैसे कुछ और लोगों की आवाज़ मिल जाये तो शायद कुछ हो सके !<br /><br />@सुशील दीक्षित और हाँ,अन्दर की ख़बरें हमें ही निकालनी पड़ेंगी !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-24243430532454450922011-01-30T18:44:03.350+05:302011-01-30T18:44:03.350+05:30कुछ ही अखबार और चैनल हैं जो हमें निष्पक्ष खबरें दे...कुछ ही अखबार और चैनल हैं जो हमें निष्पक्ष खबरें देते हैं और वह भी नहीं रहेंगे तो खबरें पढ़ने या सुनने के बाद हमें संपादन भी करना पड़ा करेगा .सुशील दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/02670860200583405414noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-50052032421103821752011-01-29T19:49:33.904+05:302011-01-29T19:49:33.904+05:30हम आपसे बिल्कुल सहमत हैं कि सार्वजनिक -हितों के लि...हम आपसे बिल्कुल सहमत हैं कि सार्वजनिक -हितों के लिए इसका ज़ारी रहना न केवल हिन्दुस्तान के लोगों के लिए अपितु विश्व-बिरादरी के लिए भी ज़रूरी है.मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-33870680912467712502011-01-29T15:35:29.522+05:302011-01-29T15:35:29.522+05:30यदि निष्पक्ष खबरें मिल रही हैं तो दुख होगा इसके बन...यदि निष्पक्ष खबरें मिल रही हैं तो दुख होगा इसके बन्द होने से।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com