tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post4425548433019448443..comments2023-10-20T18:30:34.424+05:30Comments on बैसवारी baiswari: जब हम गमज़दा हो जाएं !संतोष त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-35398798167635830252011-12-11T11:50:17.194+05:302011-12-11T11:50:17.194+05:30दुनिया में कितना गम है मेरा गम सबसे कम है ....जी ब...दुनिया में कितना गम है मेरा गम सबसे कम है ....जी बिलकुल सच्ची!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-34297968357802743692011-12-05T12:07:45.598+05:302011-12-05T12:07:45.598+05:30वाह ! बहुत खूब लिखा है आपने ! आपकी लेखनी की जितनी ...वाह ! बहुत खूब लिखा है आपने ! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाये कम है!<br />मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/<br />http://seawave-babli.blogspot.com/Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-12765995667794510732011-12-04T17:29:47.340+05:302011-12-04T17:29:47.340+05:30सुन्दर प्रस्तुति |मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है ...सुन्दर प्रस्तुति |मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । कृपया निमंत्रण स्वीकार करें । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-17306407158602094622011-12-04T17:28:37.419+05:302011-12-04T17:28:37.419+05:30वाह ... ये मखमली आवाज़ और शायरी का असर ... गम कुछ ...वाह ... ये मखमली आवाज़ और शायरी का असर ... गम कुछ और जगा देता है ... पर आप इस गम से बाहर आ जाएं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-18671243520477892482011-12-02T20:15:12.411+05:302011-12-02T20:15:12.411+05:30संतोष जी आपके लिये ये लिंक साँपला वाले
http://si...संतोष जी आपके लिये ये लिंक साँपला वाले <br /><br />http://sikayaat.blogspot.com/2011/11/blog-post_28.html<br />http://sikayaat.blogspot.com/2011/11/blog-post_17.html<br />http://sikayaat.blogspot.com/2011/11/blog-post_11.htmlSANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-45825082428463438152011-12-02T07:56:52.067+05:302011-12-02T07:56:52.067+05:30@ अनूप जी आभार आपका ! कम से कम उबरने के बाद याद तो...@ अनूप जी आभार आपका ! कम से कम उबरने के बाद याद तो किया !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-77582492557535727462011-12-02T07:47:11.469+05:302011-12-02T07:47:11.469+05:30अब तो उबर गये लगता है दुख से!
कानपुर के गीतकार उ...अब तो उबर गये लगता है दुख से! <br /><br />कानपुर के गीतकार उपेन्द्रजी ने कभी <a href="http://hindini.com/fursatiya/archives/258" rel="nofollow">लिखा</a> था:<br /><br /><b>माना जीवन में बहुत-बहुत तम है,<br />पर उससे ज्यादा तम का मातम है,<br />दुख हैं, तो दुख हरने वाले भी हैं,<br />चोटें हैं, तो चोटों का मरहम है,<br /><br />काली-काली रातों में अक्सर,<br />देखे जग ने सपने उजले-उजले।</b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-74696906148026077002011-12-01T22:00:25.912+05:302011-12-01T22:00:25.912+05:30@ इन्दुजी अबकी बार ज़रूर फोनियाऊंगा ! आपका बहुत आभ...@ इन्दुजी अबकी बार ज़रूर फोनियाऊंगा ! आपका बहुत आभार !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-46518952454219055142011-12-01T21:16:36.460+05:302011-12-01T21:16:36.460+05:30अली साहब की टिप्पणी को मेरी भी समझिएगा !
लगता है ...अली साहब की टिप्पणी को मेरी भी समझिएगा ! <br />लगता है आप भी बहुत संवेदनशील दोस्तों की जमात से हैं :-)<br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-22337909877034079972011-12-01T17:07:23.660+05:302011-12-01T17:07:23.660+05:30एई ये सब क्या हो रहा है यहाँ अली भाई,डॉक्टर साहब,म...एई ये सब क्या हो रहा है यहाँ अली भाई,डॉक्टर साहब,मनोज जी सब के सब............ अरे मेरी बात सुनो और एक काम करो.<br />तुम (सब)अपना रंजोगम अपनी परेशानी मुझे दे दो<br />तुम्हे इस दिल की कसम (चार लाख खर्च करवाकर बैठा है दुष्ट हाल ही ) अपनी निगेहबानी मुझे दे दो.<br /> अरे! सब चलता है जिंदगी में. मैं तो अपने सब दुःख,चिंताएं,परेशानियां अपने कृष्णा को सौंपकर बेफिक्र हो कर सो जाती हूँ.और.......उदास गाने नही सुनती.और ज्यादा तकलीफ होती है इससे.अपने राम जी तो दुखी भी दूसरों के दुःख से हा हा हा आदि हैं इसके.ईश्वर ने सब कुछ बेस्ट दिया,कियापर...कांटो भरा ऐसा रास्ता चुन बैठी कि ...... अब उसी में सुकून मिलता है तो बेचारे गोस्वामीजी या बच्चे क्या करे??हा हा हा <br />और तुम तो मेरे नन्हे कृष्णा हो बाबु! एक फोन नही कर सकते थे? <br />देखो कितने लोग हैं जो तुम्हारे लिए विचलित से हो गये हैं यह जानकर कि तुम आज अपने असली उसी मस्ती भरे मूड में नही दिख रहे.इन्दु पुरीhttps://www.blogger.com/profile/10029621653320138925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-31456388795769057412011-12-01T15:32:46.114+05:302011-12-01T15:32:46.114+05:30गम बांटते रहोगे कभी खुशी भी बाँट दिया करो
रोया रु...गम बांटते रहोगे कभी खुशी भी बाँट दिया करो <br />रोया रुलाया मत करो हंसा दिया दिलसे करोअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-24420822424004984742011-12-01T11:35:59.545+05:302011-12-01T11:35:59.545+05:30@ अरविन्द मिश्र जी
आपका वरद-हस्त जब तक है ,तभी तक...@ अरविन्द मिश्र जी <br />आपका वरद-हस्त जब तक है ,तभी तक यह उछल-कूद ज़्यादा है.<br />स्नेह बनाए रखियेगा !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-34355914576487063772011-12-01T11:31:03.763+05:302011-12-01T11:31:03.763+05:30@संतोष त्रिवेदी,
महान आत्मा हैं आप....ईश्वर आपको ब...@संतोष त्रिवेदी,<br />महान आत्मा हैं आप....ईश्वर आपको ब्लॉग लेखन का धूमकेतु होने से बचाएंArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-68295797026536770852011-12-01T09:21:35.812+05:302011-12-01T09:21:35.812+05:30@ संतोष जी ,
(१) वो दोस्त जो गलत ढंग से समझे गये औ...@ संतोष जी ,<br />(१) वो दोस्त जो गलत ढंग से समझे गये और उदासी का सबब बने !अब ये ससुरा मन है कि 'दोस्तों' के लैंगिकता बोध के लिए बेकरार हो चला है :)<br /><br />(२) बेशक ! वैसे 'अपने से बात' बहुत ही रोमांटिक धारणा है :)<br /><br />(३) हम आज की बुज़ुर्गियत और अब अप्राप्त अवसरों की बात कहां कर रहे हैं जनाब :)<br /><br />(४) बेगमशुद और गमज़दा मित्रों के लिए खास लिंक ...http://podcast.hindyugm.com/2009/04/abida-parveen-and-nusrat-fateh-ali-khan.html ,बाबा नुसरत को भी सुनिए !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-3657920384492211422011-12-01T09:20:29.224+05:302011-12-01T09:20:29.224+05:30अरविन्द मिश्र
गुरु जी ,
यह पोस्ट ही आपको संबोधित ...अरविन्द मिश्र <br />गुरु जी ,<br />यह पोस्ट ही आपको संबोधित है मगर आप हैं कि कौओं के यौन-संसर्ग को देखने की फिराक में हैं!हमने तो आप की पसंद का ख्याल फिर भी रखा और इसलिए यह ग़ज़ल डाल दी .<br /><br />मैं जानता हूँ कि इससे आपका दिन खराब नहीं होगा बल्कि आपकी रचनाशीलता को कुरेदेगा,भावों को जगायेगा !<br /><br />आपसे अभी फोन पर बात हुई,आपने इस ग़ज़ल की दो-तीन लाइनें तरन्नुम में गाई,सच में दिल खुश हो गया.<br />.....जिसने दर्द दिया था,उसी ने दवा भी दे दी ! आभारसंतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-63966018799342850892011-12-01T08:59:49.797+05:302011-12-01T08:59:49.797+05:30उदास कर देने वाला गीत या संगीत सुनने पर उदासी और ब...उदास कर देने वाला गीत या संगीत सुनने पर उदासी और बढ़ जाती है ...<br />ऐसे मौकों पर चुलबुले गाने सुनना मूड ठीक कर देता है ...जैसे " बेपरवाह बेदर्दी पगला दीवाना " ...या " झूठा कही का मुझे ऐसा मिला "...<br />हां , रोना ही हो तो बात और है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-88870925498386746752011-12-01T08:52:47.215+05:302011-12-01T08:52:47.215+05:30@ अली साब
१)कल जो हुआ था,वह दोस्तों का ही दिया थ...@ अली साब <br /><br />१)कल जो हुआ था,वह दोस्तों का ही दिया था,मैंने गलत ढंग से समझा और मन उदास कर लिया.<br /><br />२)जब अपने से बात करनी भी मुश्किल हो जाये,ऐसे में ज़फर साब और मेहंदी हसन साब की जुगलबंदी से बढ़कर कुछ नहीं !<br /><br />३)आप जिस कारण को अकारण हमारे माथे पर डाल रहे हो,ऐसा कतई नहीं है.एक तो बुजुर्गियत ,ऊपर से ब्लागियत अब ऐसे मौके मुहैया नहीं कराती !<br /><br />४)आप बेगमशुद बनें रहें,बे-गमजदा भी,मैं बेगमशुद और गमज़दा ही सही !क्या है न ,कि गम ही हमें अपने से रूबरू करने का मौक़ा देता है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-56397041953562641012011-12-01T08:41:08.484+05:302011-12-01T08:41:08.484+05:30@ मनोज कुमार जी आप अपने दिल को खुद दिलासा दीजिए,सं...@ मनोज कुमार जी आप अपने दिल को खुद दिलासा दीजिए,संगीत का आनंद पीजिए.रात के बाद अब हमारी सुबह ताज़ा दम हो गई है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-86619220858839114882011-12-01T08:18:51.686+05:302011-12-01T08:18:51.686+05:30अरविन्द जी ,
:)
दो मुहावरे याद आ रहे हैं ...
जा तन...अरविन्द जी ,<br />:)<br />दो मुहावरे याद आ रहे हैं ...<br />जा तन लागी सोई जाने :)<br />जाके पैर ना फटे बिंवाई सो का जाने पीर पराई :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-66789484655629854112011-12-01T08:08:06.680+05:302011-12-01T08:08:06.680+05:30@और जो ये अली मियाँ मजे मजे से बतियाते हैं न ..ये ...@और जो ये अली मियाँ मजे मजे से बतियाते हैं न ..ये भी कोई गम है जो छिपाते हैं .....और यी लहजा तभी अपनाते हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-17564247258044277842011-12-01T08:04:58.581+05:302011-12-01T08:04:58.581+05:30आह -आपने मेरा पूरा दिन बर्बाद कर दिया ....अपनी पीड...आह -आपने मेरा पूरा दिन बर्बाद कर दिया ....अपनी पीड़ा की गहनता जस का तस इधर संप्रेषित कर दी है -माफ नहीं करूंगा ...<br />वैसे भी इन दिनों तबीयत कुछ नासाज सी है ....ई अपन की फ्रीक्वेनसी इतनी क्यों मैच करती है भाई _खुद तो मरोगे मुझे भी मारकर ही हटोगे... इन आंसुओं का क्या करूं जिनसे डेस्कटाप धुंधला दिख रहा है ? अंगुलियाँ अपना काम तो कर रही हैं मगर सामने क्या लिख रहा है पता नहीं ...<br />कभी कभी सोचता हूँ विज्ञान का दामन न पकड़ा होता तो अब तक निपट ही गया होता ......संतोष भाई, मान लीजिये कभी हम न रहे तो लोग याद तो करेगें न ? <br />(सामान्य होकर पुनः टिप्पणी संशोधित! कभी दिन रात यही ग़ज़ल जुबां पर रहती थी ...अब तो सुनते हुए प्राण जैसे निकले जाते हैं ....! आह !@ई मनोज भी अपना जैसा ही पगला लगता है क्या ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-57742208412440907932011-12-01T07:35:25.755+05:302011-12-01T07:35:25.755+05:30और हां अपने 'बेगमशुद' होने का आपके ब्रांड ...और हां अपने 'बेगमशुद' होने का आपके ब्रांड वाले गम से कोई वास्ता नहीं है यह तखल्लुस उन सब के लिए जो 'शादीशुद' हों :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-11911313053584361662011-12-01T07:32:38.702+05:302011-12-01T07:32:38.702+05:30@ प्रिय संतोष जी ,
...पर कल ऐसा हुआ क्या था :)
मे...@ प्रिय संतोष जी ,<br />...पर कल ऐसा हुआ क्या था :)<br /><br />मेंहदी हसन के लिंक को बखूबी पहचानता हूं अब ख्याल ये है कि आपके साथ ऐसा क्या गुज़रा जो...इसे सुनना पड़ा :)<br /><br />अव्वल तो ये कि आप कभी सकारण...अकारण गमज़दा ना हों यही दुआ कर सकते हैं !<br /><br />वैसे इस तरह से गमज़दा होने के कुछ खतरे भी हैं मसलन लोग क्या समझेंगे कि भाभी जी के होते हुए भी यह बंदा गमज़दा हो रहा है तो ज़रूर इस गमज़दगी का स्रोत्र कोई 'बाह्य तत्व' है :)<br /><br />देखिये इस तरह के बाह्य तत्वों की मौजूदगी वाले निष्कर्षों से मर्दपन का अहसास भले पल्लवित और पुष्पित हो पर पारिवारिक जीवन का स्वास्थ्य नाज़ुक होने का खतरा बढ़ जाता है :)<br /><br />अगर कोई अन्यथा बात ना हो और दुखदाई गजलें सुनना अपरिहार्य विवशता ना हो तो फिर एक नींद सो लेना भी एक बेहतर विकल्प है !<br />एक ज़माना था कि यार लोग ऐसी ग़ज़लें सुनने के वास्ते ही गमज़दा हो लिया करते थे ! उस वक़्त यह फैशन बड़ा आम था पर आपके मुद्दे पे ऐसा नहीं लगा रहा है अगर बता सकें तो ज़रूर बताइयेगा इस बेचैनी का सबब और अगर नहीं बता सकें तो बीती पे दिया बाती कर डालिए :) <br /><br />शुभकामनाओं सहित <br />फिलहाल 'बेगमशुद' लोगों में से एक मित्रउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-8104181940867999722011-12-01T01:45:04.526+05:302011-12-01T01:45:04.526+05:30होता है !
इसका नाम जिंदगी है !होता है !<br />इसका नाम जिंदगी है !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-60393709257832788912011-11-30T23:13:29.957+05:302011-11-30T23:13:29.957+05:30आज मेरा मन भी इसी तरह का है संतोष भाई!
आज तो यह कह...आज मेरा मन भी इसी तरह का है संतोष भाई!<br />आज तो यह कहने का मन मेरा कर रहा है --<br /><br />किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी, इतनी कसैली बात लिखूं<br />शेर की मैं तहज़ीब निभाऊं या अपने हालात लिखूंमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com