tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post115045572270409670..comments2023-10-20T18:30:34.424+05:30Comments on बैसवारी baiswari: ग़ज़लसंतोष त्रिवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-69946393296114732332010-12-02T21:46:54.706+05:302010-12-02T21:46:54.706+05:30@अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी बहर की समझ तो अपन की समझ ...@अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी बहर की समझ तो अपन की समझ के बाहर है पर युवावस्था में तुरत-फ़ुरत जो बात दिमाग में आ जाती उसे कागज़ पर उतार देता था.पहली दो लाइनें अच्छी बन पड़ी थीं पर बाद वाली तो ग़ज़ल पूरा करने की मजबूरी में,इसलिए 'कुछ' गड़बड़ है.साधुवाद सहित !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-52797881462867261112010-12-02T15:04:28.415+05:302010-12-02T15:04:28.415+05:30मीटर दुरुस्त हो जाय .. बाकी साधने की अच्छी कोशिश द...मीटर दुरुस्त हो जाय .. बाकी साधने की अच्छी कोशिश दिखी ! आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-62399334488772589672010-12-02T08:26:58.932+05:302010-12-02T08:26:58.932+05:30@ सोमेश सक्सेना भाई,'पकड़ने' के लिए धन्यवाद...@ सोमेश सक्सेना भाई,'पकड़ने' के लिए धन्यवाद,दर-असल अपन ने कोई 'टरेनिंग' वगैरह नहीं ली है,बचपन से लेकर आज तक,जो मन में आया,कह दिया.अब तो ज़्यादा कुछ बनता भी नहीं है!संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-77197938832175728272010-12-02T00:35:20.985+05:302010-12-02T00:35:20.985+05:30ग़ज़ल के हिसाब से बहर (Meter) में थोड़ी गड़बड़ी है पर भ...ग़ज़ल के हिसाब से बहर (Meter) में थोड़ी गड़बड़ी है पर भाव अच्छे हैं। यदि बहर का ध्यान रखें तो अच्छी ग़ज़लेँ कह सकते हैं आप।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-27259407658625410752010-12-01T21:51:04.977+05:302010-12-01T21:51:04.977+05:30@मनोज कुमार उत्साह-वर्धन के लिए शुक्रिया.बचपन की द...@मनोज कुमार उत्साह-वर्धन के लिए शुक्रिया.बचपन की दास्ताँ बुढ़ापे तक 'पिछुवाये' है!<br /><br /><br />@प्रवीण पाण्डेय भैया,इतना बड़ा 'बाउंसर' मारा है कि झेल नहीं पा रहा हूँ.क्या मैं 'निर्वात' हूँ और 'वो' हवा है?अभिप्राय समझाने का कष्ट करें !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-63009445074035749742010-12-01T18:54:14.194+05:302010-12-01T18:54:14.194+05:30निर्वात में हवायें तेजी से जा समा जाती हैं।निर्वात में हवायें तेजी से जा समा जाती हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3648196938872431745.post-78237933553586070692010-12-01T11:53:00.655+05:302010-12-01T11:53:00.655+05:30राह ये कटती नहीं , डस रहीं तनहाइयाँ,
ख्वाब में भ...राह ये कटती नहीं , डस रहीं तनहाइयाँ,<br /> ख्वाब में भी वो, तडपा रही है आजकल.<br />बेचैन मन की सुंदर अभिव्यक्ति। ग़ज़ल का एक-एक शे’र दिल को छू गया। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><a href="http://testmanojiofs.blogspot.com/2010/12/blog-post.html" rel="nofollow">विचार::मदिरा</a><br /><a href="http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com/2010/11/blog-post_01.html" rel="nofollow">साहित्यकार-श्रीराम शर्मा</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com